Talaq-e-Hasan: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, "प्रथम दृष्टया इतना अनुचित नहीं लगता", जानें क्या बोलीं याचिकाकर्ता

Talaq-e-Hasan: याचिकाकर्ता के वकील अश्वनी उपाध्याय और याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना ने ज़ी हिंदुस्तान से Exclusive बातचीत की.  याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना इसे लेकर काफी भावुक हैं.

Written by - Sumit Kumar | Last Updated : Aug 16, 2022, 01:52 PM IST
  • 29 अगस्त को अगली सुनवाई होगी
  • वकील ने कहा, मजबूती से रखेंगे पक्ष
Talaq-e-Hasan: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, "प्रथम दृष्टया इतना अनुचित नहीं लगता", जानें क्या बोलीं याचिकाकर्ता

नई दिल्ली: Talaq-e-Hasan: मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा हक देने वाले तलाक-ए-हसन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पीड़िता याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी, जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए?. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह (तलाक ए हसन) इतना अनुचित नहीं है. महिलाओं के पास भी एक विकल्प है. प्रथम दृष्टया मैं याचिकाकर्ताओं से सहमत नहीं हूं. मैं नहीं चाहता कि यह किसी अन्य कारण से एजेंडा बने. 29 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. 

भावुक हो गईं याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना 
इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता बेनज़ीर हिना ने ज़ी हिंदुस्तान से Exclusive बातचीत में भावुक हो गई. जी हिंदुस्तान ने जब सुप्रीम कोर्ट के सवाल को दोहराया तो उन्होंने कहा कि नहीं उन्हें न ही मुआवजा चाहिए और न ही तलाक ही चाहिए, वह तलाक-ए- हसन को खत्म कराना चाहती हैं और सुप्रीम कोर्ट से गुहार है कि वह तीन तलाक के तर्ज पर इसे भी असंवैधानिक करार दे. याचिकाकर्ता के वकील अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि हम इस मामले में अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट से मांग करेंगे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से जवाब तलब करे.

क्या कहा आज सुप्रीम कोर्ट ने
दरअसल, आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मैं याचिकाकर्ताओं से सहमत नहीं हूं, हम इस मामले को देखेंगे. जस्टिस संजय किशन कौल ने एक अहम टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि मैं नहीं चाहता कि यह मुद्दा किसी और वजह से एजेंडा बने. याचिकाकर्ता महिला से कोर्ट ने ये भी कहा कि आप ये बताएं कि आप सहमति से तलाक के लिए तैयार हैं या नहीं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला से ये भी पूछा कि 'वो इस मामले को लेकर सीधा सुप्रीम कोर्ट क्यों आई हैं?

क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट में दो महिलाएं मुंबई की रहने वाली नाजरीन निशा और गाजियाबाद की रहने वाली पत्रकार बेनजीर हिना ने तलाक ए हसन और इस जैसी दूसरी व्यवस्थाओं को रद्द करने को लेकर याचिका दायर की है. नाजरीन का कहना है कि उसकी शादी नवंबर 2019 में नासिक के रहने वाले मोहम्मद अकरम से हुई थी. शादी के वक्त ससुराल वालों की मांग के चलते घरवालों ने अपनी हैसियत से बढ़कर दहेज दिया. इसके बावजूद ससुराल वाले सन्तुष्ट नहीं हुए और शादी के बाद से ही दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा. नाजरीन का कहना है कि छोटी-छोटी बातों के लिए उसके साथ मारपीट की जाती. इसके बाद वो टीबी की मरीज हो गईं तो पति उसे मायके छोड़ आया. मायके में इलाज होने के बाद वो स्वस्थ हो गईं, पर पति उसे वापस नहीं ले गया. इसके बाद 4 जुलाई को पति ने एकाएक मैसेज के जरिए तलाक के दो नोटिस भेज दिए गए.

तलाक-ए-हसन क्या है?
22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तलाक ए बिद्दत यानी एक साथ तीन बार बोलकर शादी खत्म करने को असंवैधानिक करार दिया था. इसके बाद सरकार ने इसे लेकर कानून भी बनाया. लेकिन अभी भी तलाक ए हसन और तलाक ए अहसन जैसी परंपरा प्रचलित हैं. तलाक ए हसन में पति एक-एक महीने के अंतराल पर तीन बार मौखिक तौर पर या लिखित रूप में तलाक बोलकर निकाह रद्द कर सकता है.

इसे भी पढ़ें-  रेप करने के लिये दरवाजों में लगवाये थे खास तरह के लॉक्स, दिग्गज फुटबॉलर को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़