नई दिल्लीः अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया. 86 वर्षीय पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने ही 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान के तौर पर शामिल हुए थे.
वेद और अनुष्ठानों के थे विद्वान
काशी के विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन वाराणसी में हुआ. उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास मंगलागौरी से निकाली जाएगी. वह बनारस के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे. उन्हें यजुर्वेद का बड़ा विद्वान माना जाता था. उनकी गिनती वेद और अनुष्ठानों के विद्वान के तौर पर भी होती थी.
योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक
उनके निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक जताया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 'काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.'
कई पीढ़ियों पहले बनारस आ गया था परिवार
बता दें कि पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति के प्रकांड माने जाते थे. उन्होंने अपनी चाचा गणेश दीक्षित भट्ट से वेद और अनुष्ठान की दीक्षा ली थी. वह मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर के रहने वाले थे. उनका परिवार कई पीढ़ियों पहले बनारस आ गया था और यहीं बस गया था.
उनके पूर्वज नागपुर और नासिक रियासतों में धार्मिक अनुष्ठान कराते थे. उनके पूर्वज पंडित गागा भट्ट भी थे जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक कराया था.
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