12 सरकारी बैंकों ने कमाए 25 हजार करोड़ रुपये, पर जानें क्यों रुक जाएगी सरकार की यह योजना?

सभी प्रमुख 12 बैंकों ने 25,685 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है. वित्तमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि एनपीए को कम करने और पीएसबी के स्वास्थ्य को और मजबूत करने के लिए हमारी सरकार के निरंतर प्रयास अब ठोस परिणाम दिखा रहे हैं.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 19, 2022, 01:36 PM IST
  • भारतीय स्टेट बैंक का लाभ 74 प्रतिशत बढ़कर 13,265 करोड़ रुपये हो गया
  • यूको बैंक ने 145 प्रतिशत के साथ 504 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया
12 सरकारी बैंकों ने कमाए 25 हजार करोड़ रुपये, पर जानें क्यों रुक जाएगी सरकार की यह योजना?

नई दिल्ली: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सुनहरे दिन आने लगे हैं. बढ़ती गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और कोविड-19 के संकट का दौर बीत चुका है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के सितंबर तिमाही के नतीजे तो यही संकेत दे रहे हैं. इस दौरान सभी प्रमुख 12 बैंकों ने 25,685 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी 12 बैंको की सराहना की.

वित्तमंत्री ने किया ट्वीट
वित्तमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि एनपीए को कम करने और पीएसबी के स्वास्थ्य को और मजबूत करने के लिए हमारी सरकार के निरंतर प्रयास अब ठोस परिणाम दिखा रहे हैं. सभी 12 बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 25,685 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संयुक्त शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

पिछले साल से इतना अधिक
इसी तरह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 12 राज्यों के स्वामित्व वाले बैंकों ने 40,991 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले साल के मुकाबले 31.6 प्रतिशत अधिक था.

किसी कितनी कमाई
-भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का लाभ 74 प्रतिशत बढ़कर 13,265 करोड़ रुपये हो गया
- केनरा बैंक का मुनाफा 89 प्रतिशत बढ़कर 2,525 करोड़ रुपये हो गया.
-यूको बैंक ने 145 प्रतिशत की भारी उछाल के साथ 504 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया
-बैंक ऑफ बड़ौदा ने 58.70 प्रतिशत के लाभ के साथ 3,312.42 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों ने कहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2022-23 के चालू वित्त वर्ष में पीएसबी के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार होने की उम्मीद है, क्योंकि एनपीए कम हो रहा है और कॉरपोरेट्स का लाभ भी कम हो गया है. 2015 में सरकार द्वारा परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा उपाय पेश किए जाने के बाद बैंकों के एनपीए को विशेष रूप से सामने लाया गया था. एनपीए अब नियंत्रण में प्रतीत होता है. भारतीय बैंकिंग प्रणाली को 2011 में गंभीर खतरे का सामना करना पड़ा था, जब एनपीए बढ़ते-बढ़ते 2017-18 में 11.18 प्रतिशत पर पहुंच गया था.

एनपीए में कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह चक्रीय है, क्योंकि यह बढ़ता और गिरता रहता है. पीएसबी को एनपीए की समस्या से निपटने में मदद करने के लिए सरकार ने इन बैंकों को 3 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए, जो वित्तीय रूप से स्थिरता प्रदाप करने में मददगार साबित हुआ.

इस नीति से फायदा
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि इस स्थिरता के आधार पर राज्य के स्वामित्व वाले बैंक अब बांड जारी करने और बाहर से धन जुटाने में सक्षम हैं, जो धीरे-धीरे उन्हें वित्तीय रूप से अधिक स्वतंत्र बना रहा है.

पर विनिवेश प्रक्रिया पड़ेगी सुस्त
विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही और वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा कमाया गया मुनाफा अच्छा संकेत है, इससे इन बैंकों में विनिवेश में तेजी नहीं आएगी.
ऐसे में सरकार क्या विनिवेश की प्रकिया तेज करेगी? इस सवाल पर एक विश्लेषक ने बताया, अच्छे नंबर सरकार को विनिवेश के लिए प्रेरित नहीं कर सकते हैं. सरकारी बैंक बड़े हैं और उन्हें वहन करने वाले बहुत कम हैं. दूसरे, नियम कॉपोर्रेट समूहों को बैंकों का अधिग्रहण करने की अनुमति नहीं देते हैं.

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