नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने 2014 के संसदीय चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दर्ज मामले में कार्यवाही पर लगी अंतरिम रोक सोमवार को बढ़ा दी.
सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
केजरीवाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के एक आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है. उच्च न्यायालय ने जनवरी में सुल्तानपुर की एक निचली अदालत के समक्ष लंबित आपराधिक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया था.
प्राथमिकी में, केजरीवाल पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत आरोप लगाया गया है, जो चुनावों के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित है. न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी.
किस बयान पर बढ़ी केजरीवाल की परेशानी?
न्यायालय की पीठ ने यह देखते हुए यह कदम उठाया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थगन के लिए एक पत्र प्रेषित किया गया है जिसमें उसने अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है. पीठ ने कहा, 'इसे... जुलाई के तीसरे सप्ताह में रखें. अंतरिम आदेश जारी रहेगा.'
केजरीवाल ने कथित तौर पर कहा था, 'जो कांग्रेस को वोट देगा, मेरा मानना होगा, देश के साथ गद्दारी होगी...जो भाजपा को वोट देगा, उसे खुदा भी माफ नहीं करेगा.' अधिवक्ता विवेक जैन के जरिये दायर की गई अपनी याचिका में केजरीवाल ने कहा है कि याचिका कानून के कुछ महत्वपूर्ण सवालों को उठाती है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या अधिनियम की धारा 125 के तहत, बिना किसी वीडियो क्लिप या कथित भाषण की पूरी प्रतिलिपि के मामला बनाया जा सकता है.
(इनपुट- भाषा)
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