नई दिल्ली: सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता में 28 सितंबर को हुए कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र की मंजूरी के बाद देश के तीन हाईकोर्ट को नए सीजे मिल गए है. कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र ने जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस पी बी वराले को पदोन्नत करते हुए जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है. वहीं जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल को तबादले के जरिए राजस्थान सीजे बनाने की सिफारिश को केंद्र द्वारा मंजूर किए जाने के बाद राष्ट्रपति भवन से नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं.
कॉलेजियम ने की थी 8 नामों की सिफारिश
सीजेआई ललित की अध्यक्षता में कॉलेजियम ने 28 सितंबर को तीन स्टेटमेंट जारी करते हुए कुल 8 नाम की सिफारिश केंद्र को भेजी थी. पहली सिफारिश में देश के अलग अलग हाईकोर्ट के तीन जजों के तबादले की सिफारिश की गयी थी.
दूसरे स्टेटमेंट के जरिए कॉलेजियम ने उड़ीसा के वर्तमान सीजे जस्टिस एस मुरलीधर और जम्मू कश्मीर सीजे जस्टिस पंकज मित्तल के तबादले की सिफारिश की थी. तबादले के जरिए जस्टिस मुरलीधर को उड़ीसा से मद्रास हाईकोर्ट सीजे और जस्टिस मित्तल को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट से राजस्थान सीजे के पद पर नियुक्ति दी जानी थी.
28 सितंबर की बैठक द्वारा जारी किए गए तीसरे स्टेटमेंट के अनुसार उड़ीसा, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के लिए नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश की गयी. इसके लिए उड़ीसा हाईकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे, बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस पी बी वराले को कर्नाटक सीजे और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अली मोहम्मद मागरे को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सीजे के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की गयी थी.
जस्टिस एस मुरलीधर की सिफारिश फिलहाल पेंडिंग में
केंद्र सरकार ने तीन नए मुख्य न्यायाधीश के लिए की गयी सिफारिश में से जस्टिस पी बी वराले और जस्टिस अली मोहम्मद मागरे की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है, लेकिन मूल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे बनाए जाने की सिफारिश को फिलहाल पेंडिंग रखा है.
कॉलेजियम द्वारा दो हाईकोर्ट सीजे के तबादले की सिफारिश की गयी थी, उसमें भी केन्द्र ने जस्टिस मित्तल के तबादले को मंजूरी दी है. वहीं उड़ीसा के वर्तमान सीजे जस्टिस एस मुरलीधर की सिफारिश को फिलहाल पेंडिंग रखा है.
जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस एस मुरलीधर दोनो ही वर्तमान में उड़ीसा हाईकोर्ट में है. जस्टिस एस मुरलीधर जहां उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश है वही जस्टिस जसवंत सिंह सीनियर मोस्ट जज है.
जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश को मंजूरी नहीं मिलने से उड़ीसा सीजे का पद भी रिक्त नही होता है ऐसे में जस्टिस जसवंत सिंह की नियुक्ति भी नहीं हो पाएगी. केंद्र सरकार द्वारा दोनों जजों के नाम पेंडिंग रखे जाने पर कानून मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ना तो जस्टिस मुरलीधर को मद्रास भेजने के पक्ष में है और ना ही जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे के तौर पर नियुक्ति देने के पक्ष में.
सबसे वरिष्ठ हाईकोर्ट जज
देशभर में हाई कोर्ट जजो की वरिष्ठता के अनुसार जस्टिस एस मुरलीधर सबसे वरिष्ठ जज है, मूल दिल्ली हाईकोर्ट में उन्हे 29 मई 2006 को बार कोटे से जज नियुक्त किया गया था.कहा तो ये भी जा रहा है सुप्रीम कोर्ट जाने का इंतजार कर रहे जस्टिस एस मुरलीधर ने मद्रास जाने के प्रति कोई आकर्षण नहीं दिखाया. हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनके पास करीब एक वर्ष का कार्यकाल शेष है, वे अगले वर्ष 7 अगस्त को सेवानिवृत होंगे.
उड़ीसा हाईकोर्ट वर्तमान में जजों के स्वीकृत 33 पदों पर 23 कार्यरत जजो की संख्या के साथ कार्य कर रहा है. ऐसे में शीघ्र ही उड़ीसा हाईकोर्ट में रिक्त 10 पदों के लिए कॉलेजियम की बैठक करनी होगी. जस्टिस एस मुरलीधर उड़ीसा सीजे बने रहते हैं, तो यह बैठक उनकी अध्यक्षता में आयोजित होगी.
बहरहाल केंद्र सरकार के अगले कदम का इंतजार किया जा है कि क्या वह दोनों जजो के नाम की सिफारिश को मंजूरी देता है या फिलहाल पेंडिंग रखता है.
यह भी पढ़िए: बार काउंसिल ऑफ इंडिया के फैसले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें क्या है पूरा मामला
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.