"कंफर्ट जोन के बाहर निकलना है पसंद", लेखन से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग करना पसंद करते हैं Saurabh Shukla? एक्टर ने खोले दिल के राज

Saurabh Shukla: सौरभ शुक्ल अपनी शानदार एक्टिंग से बॉलीवुड में अपना लोहा मनवाया है. एक्टर आज किसी पहचान मोहताज नहीं हैं. हाल ही में एक्टर ने लेखन जुड़ी चीजों पर दिल की बात सामने रखी.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 20, 2024, 02:50 PM IST
    • लेखन और निर्देशन को लेकर क्या बोले सौरभ शुक्ला
    • एक्टिंग और लेखन की लोकप्रियता पर साझा किए विचार
"कंफर्ट  जोन के बाहर निकलना है पसंद", लेखन से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग करना पसंद करते हैं Saurabh Shukla? एक्टर ने खोले दिल के राज

नई दिल्ली: Saurabh Shukla: बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं जो एक्टिंग के साथ कई अन्य छेत्रों में दिलचस्पी रखते हैं, वो चाहे स्पोर्ट्स हो या लेखन, बॉलीवुड में एक ऐसे ही एक दिग्गज कलाकार हैं सौरभ शुक्ला. सौरभ शुक्ला ने खुद को चुनौतियां देने में पीछे नहीं रहते हैं. वह लेखक और निर्देशक भी हैं.

कन्फर्ट जोन से बाहर आकर काम करते हैं सौरभ शुक्ला 

सौरभ शुक्ला यह जानते हैं कि अभिनय के लिए उन्हें जो प्रसिद्धि और पैसा मिलता है, वह लेखन और निर्देशन से कम है. फिर भी वह अभिनय के साथ यह काम भी करते हैं. सौरभ कहते हैं कि किसी भी आर्टिस्ट का जो कन्फर्ट जोन होता है, वह उसका डिसकन्फर्ट जोन भी होता है. एक्टर ने आगे कहा कि आप जो भी करते हैं, फिर चाहे आप लिखते हों, निर्देशन करते हों या अभिनय, आप जब वो काम कर लेते हैं और वह सफल हो जाता है, तो आर्टिस्ट हमेशा छटपटाता रहता है कि मैं यह दोबारा नहीं करूंगा. अब कुछ और करूंगा. तो अपने कन्फर्ट जोन को तोड़ना ही उसका कन्फर्ट जोन है.

लेखन-निर्देशन से ज्यादा एक्टिंग करना है ज्यादा पसंद

सौरभ शुक्ला ने बताया कि उन्हें लेखन और निर्देशन से ज्यादा अभिनय पसंद है, क्योंकि इसमें आराम भी होता है और पैसे भी अच्छे मिलते हैं. बात को आगे ले जाते हुए एक्टर कहते हैं, "मैं जब इस फिल्म इंडस्ट्री में आया था तो मैंने खुद को बतौर एक्टर स्थापित किया, लेकिन कन्फर्ट जोन में जाना था तो लेखन में भी आ गया. फिर निर्देशन भी कर लिया. कभी-कभी लगता है कि अभिनय करने के फायदे हर तरीके से ज्यादा हैं. पैसे अच्छे मिलते हैं."

लेखक को नहीं मिलती डिजर्विंग सैलरी 

सौरभ शुक्ला बताते हैं, "निर्देशन और लेखन से ज्यादा आरामदायक होता है, जहां आपको बस अपनी तैयारी के साथ सेट पर आना होता है, बाकी चीजों से आपका कोई लेना-देना नहीं होता है, तो आप अपने अभिनय पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं." एक्टर का कहना है कि बतौर लेखक आप कहीं खो जाते हैं और आपको हक के पैसे भी नहीं मिलते हैं. सौरभ शुक्ला कहते हैं, "मैं सामने वाले का सपना पूरा करने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं कि मेरे पड़ोसी का सपना पूरा हो जाए. इसलिए सभी आर्टिस्ट जो फैसले लेते हैं, वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए ही लेते हैं. सौरभ आगामी दिनों में फिल्म 'अभी तो पार्टी शुरू हुई है' में नजर आएंगे.

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