नई दिल्ली: दिग्गज अदाकारा मुमताज (Mumtaz) लंबे वक्त तक हिन्दी सिनेमा में राज किया है. 60-70 के दशक में तो हर कोई उनका दीवाना हो जाता था. उस जमाने में उन अदाकाराओं में से थीं, जो किसी भी तरह के किरदार को बहुत खूबसूरती से पर्दे पर उतार देती थीं. मुमताज आज बेशक फिल्मी पर्दे से दूर हैं, लेकिन उनसे जुड़े कई किस्से अक्सर सुनने को मिल जाते हैं. इस बार एक्ट्रेस ने देव आनंद से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाया है.
मुमताज ने सुनाया किस्सा
हाल ही में मुमताज ने बताया कि उन्होंने देव आनंद साहब के साथ कई फिल्मों में काम किया. दिग्गज अदाकारा का कहना है, 'देव साहब का चलने का स्टाइल और जैसे सिर हिलाते थे, मुझे नहीं लगता कि कोई भी पीढ़ी का कोई भी उस स्टाइल को आगे लेकर जा सकता है. उनका अपना ही एक अलग व्यक्तित्व था. लोगों ने उन्हें इसी अंदाज में स्वीकार किया और खूब प्यार भी बरसाया.'
पहली फिल्म में बने थे पति-पत्नी
मुमताज ने अब देव आनंद से जुड़ा एक किस्सा बताते हुए कहा जब उन्होंने पहली फिल्म देव साहब के साथ की तो उसमें उन्होंने पति-पत्नी का रोल निभाया था, लेकिन जब दूसरी फिल्म में जब देव साहब ने उनसे संपर्क कर उन्हें रोल बताया तो उन्हें ये बिल्कुल पसंद नहीं आया. ये फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' थी. इस फिल्म के लिए एक्टर मुमताज से मिलने घर पहुंचे और फिल्म की कहानी सुनाई.
इसलिए नहीं बनीं देव साहब की बहन
मुमताज ने कहा, 'देव साहब चाहते थे कि मैं इस फिल्म में उनकी बहन का रोल अदा करूं. मैंने सोचा पहली फिल्म में एक शादीशुदा जोड़े के तौर पर दिखने के बाद अगर अब दूसरी फिल्म में मैं उनकी बहन बन जाऊंगी बहुत अजीब दिखेगा. बस इसीलिए मैंने इस फिल्म में उनकी बहन का किरदार निभाने से इंकार कर दिया और फिल्म में उनकी प्रेमिका बन गई. देव साहब ने मुझे समझाया कि इस फिल्म में बहन का किरदार ही बड़ा है मुझे इसे छोड़ना नहीं चाहिए, लेकिन मैं नहीं मानी.'
देव साहब के साथ थी अच्छी बॉन्डिंग
मुमताज ने आगे कहा, 'फिल्म 'तेरे मेरे सपने' में हमारी जोड़ी को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला था. ऐसे में देव साहब ने भी मेरी बात को समझा और उन्होंने मुझे वहीं रोल प्ले करने दिया, जो मुझे पसंद था.' एक्ट्रेस ने पर्दे के पीछे देव आनंद के साथ अपनी बॉन्डिंग को लेकर कहा, 'मैं देव साहब के बहुत करीब थी, वो मुझसे बहुत प्यार करते थे. वो मुझे मुमीजी कहते थे. अक्सर शूट के दौरान वह मुझसे अपने लिए स्कार्फ चुनने को कहते थे और यह जानकर मुझे गर्व होता था कि वह मेरी पसंद को इतना महत्व देते हैं.'
क्यों मुमताज ने निधन के बाद नहीं देखा देव साहब का चेहरा?
मुमताज ने आगे इस बात का भी खुलासा किया कि आखिर क्यों उन्होंने निधन के बाद देव साहब का चेहरा देखने से इंकार कर दिया था. दिग्गज अदाकारा ने कहा, 'बहुत अफसोह की बात है कि मैं लंदन में जहां रहती हूं, वहां से कुछ ही दूरी पर उनका होटल था, जहां उनका निधन हुआ था. उस समय कई लोग मेरे पास आए और कहा कि मैं आखिरी बार उनका चेहरा देख लूं, लेकिन मैंने मना कर दिया. क्योंकि मैं अपने दिल और दिमाग में उसी सदाबहार देव आनंद को रखना चाहती थी. मैं उन्हें उस हाल में देखना मुझसे नहीं ही बर्दाश्त हो पाता.'
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