नई दिल्ली. केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार अपने गठबंधन NDA के साथ सरकार बनाती दिख रही है. रुझानों में NDA के पास बहुमत है और वह लगभग 297 सीटों पर आगे चल रहा है. कुछ सीटों पर जीत भी हासिल हो चुकी है. हालांकि बीजेपी के लिए यह नतीजे झटके देने वाले रहे हैं. भले ही NDA को बहुमत मिल रहा हो लेकिन कई राज्यों में बीजेपी को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसा ही एक राज्य महाराष्ट्र है जहां 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के साथ बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था.
महाराष्ट्र के 'उलटफेरों' ने सबको चौंकाया
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसे परिवर्तन आए जो संभवत: पूरे देश में सबसे बड़े उलटफेर करने वाले थे. इस उलटफेर की लिस्ट में सबसे पहला नाम आया शिवसेना का. शिवसेना से टूटकर एकनाथ शिंदे गुट ने बीजेपी से हाथ मिला लिया. और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बन गए. एक तरीके से पूरी शिवसेना टूट गई और उद्धव ठाकरे के बड़ी संख्या में सांसद विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हो गए.
जब टूटी शरद पवार की एनसीपी
इसके बाद 2023 में नंबर आया शरद पवार की NCP का. शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी तोड़ दी और एनसीपी के कई दिग्गज नेताओं के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया. इसी के साथ एनसीपी के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर कब्जे की जंग भी चली जिसमें जीत अजित पवार को मिली और शरद पवार को अलग पार्टी बनानी पड़ी.
राजनीतिक घटनाक्रमों ने लोगों को उलझाया
हालांकि इस तरह के लगातार घटनाक्रमों ने राज्य के लोगों को भी उलझाकर रख दिया था. चुनाव से पहले भी यह माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में पार्टियों की टूट-फूट का खामियाजा बीजेपी और उसके सहयोगियों को उठाना पड़ सकता है. और ऐसा लोकसभा चुनाव के नतीजों में होता दिख रहा है. इसके अलावा महाराष्ट्र में एक 'जंग' विरासत को भी लेकर चल रही थी जिसमें एकतरफ शरद पवार और उद्धव ठाकरे थे तो दूसरी तरफ अजित पवार और एकनाथ शिंदे थे.
विरासत की जंग
जहां उद्धव और शरद पवार को यह साबित करना था कि पार्टी टूटने के बाद भी अभी आधारभूत वोट उन्हीं के पास हैं. वहीं दूसरी तरफ अजित पवार और एकनाथ शिंदे को यह साबित करना था कि वास्तविक पार्टी के वोट भी उनके पास हैं. हालांकि चुनावी नतीजे बता रहे हैं कि महाराष्ट्र की जनता ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गुटों पर भरोसा जताया है. अभी तक के नतीजों के मुताबिक राज्य की 48 सीटों में से 10 पर उद्धव ठाकरे गुट, 7 सीटों पर शरद पवार गुट आगे चल रहा है.
कांग्रेस पार्टी राज्य की सबसे ज्यादा 12 सीटों पर आगे चल रही है. दूसरी तरफ सत्ताधारी गठबंधन को झटका लगा. एकनाथ शिंदे की शिवसेना 6 सीटों पर आगे चल रही है. बीजेपी 11 सीटों पर आगे है और अजित पवार की एनसीपी सिर्फ एक सीट पर. यानी पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन में 42 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार महज 18 सीटों से संतोष करना पड़ रहा है जो बहुत बड़ा झटका है.
विधानसभा चुनावों पर भी होगा असर!
अभी फाइनल नतीजे नहीं आए हैं लेकिन बीजेपी लीडरशिप राज्य में आगे की रणनीति को लेकर जरूर गंभीरता से विचार करेगा. क्योंकि राज्य में इसी साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. और ऐसी स्थिति में बीजेपी के ताजा परफॉर्मेंस चिंता का सबब हो सकता है. अगर राज्य का वोटर लोकसभा चुनाव की तरह पार्टियों के टूटने के मुद्दे पर नाराज या भ्रमित होकर वोट करेगा तो विधानसभा चुनाव के नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं.
(ये आंकड़े खबर बनाते समय के हैं, जो बाद में परिवर्तित हो सकते हैं)
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