नैनीताल सीट पर जब नए नवेले भाजपाई से हार गए थे एनडी तिवारी, टूटा था प्रधानमंत्री बनने का सपना

Uttarakhand Lok sabha Chunav: उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. नेताजी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. चुनावी सभाओं का दौर भी जारी है. वोटिंग को अब कुछ ही दिन बाकी हैं. राज्य की सभी सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. वैसे तो राज्य की सभी सीटों की अपनी अहमियत है लेकिन नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट का अपना इतिहास रहा है. गोविंद बल्लभ पंत के परिवार से लेकर एनडी तिवारी तक का इस सीट से नाता रहा है.

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Apr 8, 2024, 12:34 PM IST
  • तीन बार नैनीताल सीट से जीते एनडी तिवारी
  • 1991 में बलराज पासी से मिली थी चुनावी हार
नैनीताल सीट पर जब नए नवेले भाजपाई से हार गए थे एनडी तिवारी, टूटा था प्रधानमंत्री बनने का सपना

नई दिल्लीः Uttarakhand Lok sabha Chunav: उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. नेताजी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. चुनावी सभाओं का दौर भी जारी है. वोटिंग को अब कुछ ही दिन बाकी हैं. राज्य की सभी सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. वैसे तो राज्य की सभी सीटों की अपनी अहमियत है, लेकिन नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट का अपना इतिहास रहा है. गोविंद बल्लभ पंत के परिवार से लेकर एनडी तिवारी तक का इस सीट से नाता रहा है. 

तीन बार नैनीताल सीट से जीते एनडी तिवारी

एनडी तिवारी को यहां से उतार-चढ़ाव दोनों देखने को मिले. उन्होंने तीन बार इस सीट से चुनाव जीता, लेकिन उनकी जीत से ज्यादा हार की चर्चा रही. कहा जाता है कि 1991 की हार ने उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना तोड़ दिया था. 

1991 में बलराज पासी से मिली थी चुनावी हार

दरअसल 1991 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट पर कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता एनडी तिवारी उम्मीदवार थे जबकि बीजेपी ने नए चेहरे बलराज पासी को चुनावी मैदान में उतारा था. इस चुनाव में एनडी तिवारी को 11,429 वोट से हार का सामना करना पड़ा था. 

उस वक्त नैनीताल सीट का दायरा उत्तर प्रदेश के बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट तक हुआ करता था. एनडी तिवारी की जीत में रोड़ा बहेड़ी विधानसभा सीट से ही अटका. वहां उनको कम वोट मिले जिससे बलराज पासी ने चुनाव में बाजी मार ली. तब बलराज पासी को 1,67,509 वोट मिले थे जबकि एनडी तिवारी के खाते में 1,56,080 वोट आए थे.

प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब टूट गया था

1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या हो गई थी. तब सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय नहीं थी. इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी. ऐसे में गांधी परिवार के बाहर से किसी को पीएम बनाया जाना था. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नारायण दत्त तिवारी का 1991 में प्रधानमंत्री बनना लगभग तय था लेकिन हार से उन्हें मायूसी हाथ लगी. 

तिवारी ने दिलीप कुमार को ठहराया था कसूरवार

कई वर्षों बाद 2015 में एनडी तिवारी ने एक इंटरव्यू में 1991 की हार की वजहों के बारे में खुलकर बात की थी. उन्होंने अपनी हार का जिम्मेदार अभिनेता दिलीप कुमार को बताया था. इंटरव्यू में तिवारी ने कहा था, 1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अभिनेता दिलीप कुमार ने बहेड़ी में उनसे अरबी और फारसी में आजादी की लड़ाई का मतलब पूछा था. साथ ही दिलीप कुमार ने उनको जिताने की भी अपील की थी.

एनडी तिवारी ने इंटरव्यू में आगे बताया था, उन्हें पता नहीं था कि दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान है. ऐसे में क्षेत्र में इस तरह की बात फैल गई कि उनको जिताने के लिए मुस्लिम अभिनेता अपील कर रहे हैं. इसके बाद तिवारी को एक वर्ग के वोट का नुकसान हुआ.

गोविंद बल्लभ पंत के परिवार का भी रहा दबदबा

नैनीताल सीट से भारत रत्न और यूपी के पहले सीएम गोविंद बल्लभ पंत के परिवार का नाता रहा है. 1951 और 1957 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से गोविंद बल्लभ पंत के दामाद सीडी पंत ने जीत हासिल की थी जबकि 1962, 1967 और 1971 में उनके बेटे केसी पंत को चुनावी जीत मिली थी.

अजय भट्ट बनाम प्रकाश जोशी

मौजूदा चुनाव में नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से बीजेपी ने केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट को मैदान में उतारा है. वह यहां से मौजूदा सांसद भी हैं. उन्होंने 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत को हराया था. वहीं कांग्रेस ने प्रकाश जोशी को टिकट दिया है. प्रकाश जोशी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं. साथ ही पार्टी संगठन में रणनीतिकार रहे हैं.

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