भोपाल. मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावी रण में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कई दिग्गजों को दिल्ली से लाकर चुनावी मैदान में उतार दिया है. बीजेपी इस फैसले को लेकर कई तरह की कयासबाजी भी की जा रही थी. लेकिन एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी का यह प्रयोग पहली नजर में सफल होता दिख रहा है. रिपोर्ट कहती है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी में पनपी गुटबाजी में काफी हद तक रोक लगी है.
228 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी हैं बीजेपी
मध्य प्रदेश में 230 सीटों में से 228 के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. इनमें पार्टी के कई ऐसे दिग्गज मैदान में उतारे गए हैं जो अब तक कई नेताओं के भविष्य का फैसला करते आ रहे हैं. इनमें प्रमुख हैं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय.
चार सांसदों को भी मैदान में उतारा
इतना ही नहीं, पार्टी ने चार सांसदों को भी मैदान में उतारा है. बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्य की राजनीति में तीनों केंद्रीय मंत्री के अलावा राष्ट्रीय महासचिव का काफी दखल रहा है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में तो यह नेता अपनी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का जोर लगाते थे. इतना ही नहीं पार्टी के भीतर गुटबाजी को भी जन्म देते थे.
नेशनल लीडरशिप के फैसले ने दिखाया रंग
लेकिन नेशनल लीडरशिपके फैसले ने इन नेताओं को ही चुनाव के जाल में उलझा कर रखा है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि राज्य में गुटबाजी का हिस्सा बने नेता अपने-अपने आका के प्रचार में ही जुटने को मजबूर हो गए हैं. सूत्रों का दावा है कि प्रारंभिक तौर पर जमीनी स्तर से जो फीडबैक आया है, उम्मीदवारों के निर्धारण के बाद वह पार्टी को अपने फैसले पर खुश करने वाला है. इसकी वजह बड़ी है कि बड़े नेताओं के मैदान में उतरने से एक तरफ जहां आसपास की सीटें मजबूत हो रही हैं तो वहीं दूसरी सीटों पर गुटबाजी पनप नहीं पा रही है.
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