BJP को सभी सीटें देने वाले MP में सिंधिया ही नहीं, ये सांसद भी हैं मंत्री पद के दावेदार

देश में फिर से पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बननी लगभग तय नजर आ रही है. हालांकि यह सरकार सहयोगियों के कंधों के सहारे चलेगी. ऐसे में नई सरकार का स्वरूप कैसा होगा, मंत्रिमंडल में किन्हें जगह मिलेगी, इसे लेकर सबकी दिलचस्पी है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 6, 2024, 11:36 AM IST
  • BJP को 29 सीटों पर मिली जीत
  • जानें कौन-कौन ठोक रहे दावा
BJP को सभी सीटें देने वाले MP में सिंधिया ही नहीं, ये सांसद भी हैं मंत्री पद के दावेदार

नई दिल्लीः देश में फिर से पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बननी लगभग तय नजर आ रही है. हालांकि यह सरकार सहयोगियों के कंधों के सहारे चलेगी. ऐसे में नई सरकार का स्वरूप कैसा होगा, मंत्रिमंडल में किन्हें जगह मिलेगी, इसे लेकर सबकी दिलचस्पी है. 

29 सीटों पर मिली जीत

लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीजेपी को सभी 29 सीटों पर जीत मिली है. सांसद बनने वालों में करीब आधा दर्जन ऐसे नेता हैं जो मंत्री पद का दावा ठोकते नजर आ रहे हैं.  

सिंधिया भी हैं दावेदार

गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दावेदार हैं. वह पहली बार बीजेपी के टिकट से चुनाव जीते हैं. वैसे लोकसभा कैंडिडेट के तौर पर यह उनकी 5वीं जीत है. वर्ष 2019 में उनको कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनावी हार मिली थी. राज्य में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता का श्रेय संगठन को जाता है. प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा दूसरी बार बड़े अंतर से खजुराहो से जीते हैं. उनका अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है और एक्सटेंशन पर हैं. ऐसे में शर्मा को भी मोदी 3.0 में जगह मिलने की उम्मीद है.

ये भी ठोक रहे हैं दावा

इसके अलावा अनुसूचित जनजाति वर्ग से बड़ा दावा फग्गन सिंह कुलस्ते का है जो 7वीं बार मंडला से चुने गए हैं. वहीं अनुसूचित जाति वर्ग से डॉ. वीरेंद्र कुमार 8वीं बार निर्वाचित हुए हैं और दावेदारी ठोक रहे हैं. एमपी से लोकसभा चुनाव में 6 महिलाएं चुनी गई हैं. इनमें तीन आरक्षित वर्ग से आती हैं. राज्यसभा में भी दो महिला सांसद राज्य से हैं. कुल मिलाकर महिला सांसदों की संख्या आठ है. कम से कम एक महिला को कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद हर किसी को है.

कम प्रतिनिधित्व मिल सकता है

हालांकि राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार मध्य प्रदेश से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले इसको लेकर संशय है. इसकी वजह यह है कि केंद्र में सरकार सहयोगी दलों के समर्थन से बन रही है और उन दलों को संतुष्ट करना पार्टी की पहली प्राथमिकता होगी. इससे पहले राज्य से 6 केंद्रीय मंत्री तक रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा होने की संभावना कम है.

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