Jyeshtha Amavasya 2023: ज्येष्ठ अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Jyeshtha Amavasya 2023: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में में पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है. हर अमावस्या की तरह इस अमावस्या को भी पितरों की शांति के लिए दान और तर्पण किया जाता है. इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर बेहद  दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कालसर्प दोष की पूजा करना शुभ माना जाता है.

Written by - Manish Pandey | Last Updated : May 11, 2023, 08:33 AM IST
  • ज्येष्ठ अमावस्या शुभ मुहूर्त
  • ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि
Jyeshtha Amavasya 2023: ज्येष्ठ अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Jyeshtha Amavasya 2023 ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में में पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है. हर अमावस्या की तरह इस अमावस्या को भी पितरों की शांति के लिए दान और तर्पण किया जाता है. इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर बेहद दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कालसर्प दोष की पूजा करना शुभ माना जाता है.

ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती ( Shani Jayanti 2023) और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) भी पड़ रहा है. जिसके कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है. ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. उत्तर भारत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी करती हैं.

ज्येष्ठ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Amavasya 2023 Shubh Muhurta)
इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई 2023 को पड़ रही है. अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात 9 बजकर 42 मिनट से शुरु होकर 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी. 19 मई को शाम 6 बजकर 42 मिनट से रात 7 बजकर 3 मिनट तक शनिदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त है. वहीं, सुबह 5 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक वट सावित्री पूजा का मुहूर्त है.

ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि (Jyeshtha Amavasya 2023 Puja Vidhi)
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें. सूर्य देव को अर्घ दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें. इस दिन अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण करें और गरीबों को दान करें. इस दिन शनि जयंती भी है, इसलिए शनि चालीसा का पाठ और जाप करें. साथ ही शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, काले वस्त्र और नीले फूल अर्पित करें. वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं को इस दिन भगवान यम की पूजा करनी चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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