नई दिल्ली: आज नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बेहद खास मानी जाती है. अष्टमी तिथि को यानी 8वें दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी का पूजन किया जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी तिथि पर सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. मां महागौरी को ममता की मूरत कहा जाता है.
महागौरी का स्वरूप
महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं. इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है. इनकी चार भुजाएं हैं और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है.
सफेद वस्त्र धारण करने के कारण महागौरी स्वेतांबरा भी कहा गया है. मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं. पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था.
कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं. इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं. जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए. पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं. महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं.
ज्योतिषीय मान्यता
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी की पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं. नवरात्रि के पावन दिनों में अष्टमी तिथि का खास महत्व है.
पूजन विधि
इस दिन देवी दुर्गा के साथ उनके आठवें स्वरूप मां महागौरी का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
फिर चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें. इसके बाद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें. अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें और देवी मां की आरती उतारें.
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
कन्या पूजन विधि
नवरात्रि में महाअष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. 2 से 10 साल तक आयु की कन्याओं के साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को पूरी, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाया जाता है. इसके बाद कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट-दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
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