Chhath Puja: कौन हैं छठी मैया? सूर्यदेव के साथ क्यों की जाती है उनकी पूजा- जानें भगवान शिव परिवार से क्या है नाता

Chhath Puja: छठ पूजा प्राकृतिक और शुद्धता के सात मनाया जाता है. यह पर्व प्रकृति के छठे रूप षष्ठी मां को समर्पित है. आइए जानते हैं छठी मैया कौन है और उनकी पूजा क्यों की जाती है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 17, 2023, 02:22 PM IST
  • जानें कौन हैं छठी मैया
  • कहां से हुईं उनकी उत्पत्ति
Chhath Puja: कौन हैं छठी मैया?  सूर्यदेव के साथ क्यों की जाती है उनकी पूजा- जानें भगवान शिव परिवार से क्या है नाता

नई दिल्ली Chhath Puja: सूर्य पूजा के महापर्व छठ पूजा में 19 नवंबर को डूबते सूर्य को और 20 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. आमतौर पर उगते सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन सिर्फ छठ पूजा पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार रविवार और छठ पूजा का योग होने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है. रविवार का कारक ग्रह सूर्य ही है. सूर्य के वार को ही सूर्य पूजा का पर्व मनाया जाएगा.  भगवान सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं. हर एक शुभ काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ जाती है. सूर्य देव को रोज सुबह अर्घ्य चढ़ाना चाहिए. सूर्य पूजा से नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं.

सूर्य मंत्र का जाप 
 ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य को अर्घ्य चढ़ाकर सूर्य के मंत्र और नामों का जप करना चाहिए. सूर्य मंत्र - आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते. सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्..

सूर्य देव की बहन हैं छठ माता 
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि छठ माता से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा था. इनमें छठे भाग को मातृ देवी कहा जाता है. छठ माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहते हैं. देवी दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी को भी छठ माता कहते हैं. छठ माता को सूर्य भगवान की बहन कहते हैं. इस वजह से सूर्य के साथ छठ माता की पूजा होती है.

बच्चों की रक्षा करने वाली
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं. इस वजह से संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है.

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि भविष्य पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा करने के लिए कहा था. बिहार में कथा प्रचलित है कि देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था और व्रत के प्रभाव से ही इनके जीवन के सभी कष्ट दूर हुए थे.

ठेकुवा का प्रसाद
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. चौथे दिन यानी 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दौरान व्रती सूर्य देव से सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं. पारण सुबह के अर्घ्य के बाद होता है. इसके साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा. छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल है. इस पर्व के महाप्रसाद को ठेकुवा कहा जाता है. यह ठेकुवा आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनता है, जो काफी मशहूर है.

शिव परिवार से नाता 
कहा जाता है कि छठ माता का शिव परिवार से नाता है. छठ माता भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय की पत्नी हैं.  

इसे भी पढ़ें: आज से छठ पूजा शुरू, नहाय-खाय पर बन रहा दुर्लभ भद्रावास योग 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप. 

ट्रेंडिंग न्यूज़