सिर्फ यूक्रेन के खिलाफ जंग से नहीं मानेंगे पुतिन! एस्टोनिया के नेता ने बताया आगे का 'प्लान'
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सिर्फ यूक्रेन के खिलाफ जंग से नहीं मानेंगे पुतिन! एस्टोनिया के नेता ने बताया आगे का 'प्लान'

Margus Tsahkna : एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गस त्साहकना का कहना है, कि  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) की खोई हुई कॉलोनियों को वापस लाना चाहते हैं. 

Vladimir Putin

Estonia Fm: एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गस त्साहकना ने शुक्रवार (23 फरवरी) को एक चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) की खोई हुई कॉलोनियों को वापस लाना चाहते हैं. साथ ही कहा कि पोलैंड और फिनलैंड पर कब्जा करना चाहते हैं.

 

त्साहकना ने कहा, 'पुतिन के पास छह दिनों के लिए एक स्पेशल ऑपरेशन की प्लानिंग थी. छह दिनों के स्पेशल ऑपरेशन के बजाय, पुतिन ने जो योजना बनाई थी, उस कारण से जंग को दो साल हो गए हैं. यह सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं है. हम जानते हैं कि 20,000 से ज्यादा बच्चों को रूस से निकाला गया है.  यह दावा ऐसे समय में किया गया है, जब यूक्रेन में युद्ध जारी है और रूस ने हाल ही में डोनेट्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों को स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता दी है. त्साहकना का कहना है, कि पुतिन की योजना यूक्रेन को जीतने के बाद पोलैंड और फिनलैंड पर हमला करने की है. 

 

असल में यह टिप्पणी रायसीना डायलॉग के एक सेशन में की गई थी, जिसका टाइटल 'बैक टू द फ्यूचर: ए न्यू एरा ऑफ कॉन्फ्लिक्ट इन यूरोप' था.  इस सत्र में हिस्सा लेने वालों ने यूक्रेन में चल रही जंग के असर और टारगेट्स पर बातचीत की. एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गस त्साहकना ने कहा, 'पुतिन का टारगेट अपनी खोई हुई कॉलोनियों को वापस पाकर सोवियत साम्राज्य को बहाल करना है. पुतिन ने सालों पहले ही बता दिया था कि उनका प्लान क्या है. यह साम्राज्य की बहाली है. रूस अपनी खोई हुई कॉलोनियों को वापस पाना चाहता है.'

 

उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2008 में जॉर्जिया पर आंशिक कब्जे के साथ शुरू हुई थी, और 2014 में यूक्रेन में क्रीमिया पर कब्जे के साथ जारी रही. अब, यूक्रेन में युद्ध चल रहा है. उन्होंने ने कहा, 'एक पड़ोसी देश के रूप में, हम जानते हैं कि रूस कॉलोनियों को वापस लेना चाहता है. वे बाल्टिक राज्यों, पोलैंड और फिनलैंड को वापस पाना चाहते हैं.

 

इसी कार्यक्रम में रूस में पूर्व भारतीय दूत डी. बाला वेंकटेश वर्मा ने कहा कि यूक्रेन को कई देशों से समर्थन मिल रहा है, लेकिन अभी भी रक्षा और प्रतिबद्धताओं में कमी है. वर्मा ने कहा, "यूक्रेनी प्रतिरोध अभी भी बहुत मजबूत है.

 

यूरोपीय देशों ने यूक्रेन के लिए 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि जमा की है. यूरोपीय देशों का यूक्रेन के प्रति समर्थन अभी भी मजबूत है, लेकिन इस एकता को बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि नाटो भी यूक्रेन का समर्थन कर रहा है, लेकिन इस संगठन के भीतर इस बात पर बहस चल रही है, कि यह समर्थन कितना बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "नाटो का विस्तार किया गया है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इससे इसकी क्षमताओं में इजाफा हुआ हो.

 

रायसीना डायलॉग में एक पैनल चर्चा में, विशेषज्ञों ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद यूरोप में हो रहे बदलावों पर चर्चा की. यह चर्चा रायसीना डायलॉग का हिस्सा थी, जो भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का प्रमुख सम्मेलन है. यह सम्मेलन वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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