Tutankhamun Mask: मिस्र के राजा रहे तूतेनखामेन की मौत पर जितना रहस्य है उससे कहीं अधिक चर्चा के केंद्र में मास्क रहा है. शोधकर्ताओं ने मास्क को लेकर तरह तरह के तर्क पेश किए हैं हालांकि पुख्ता तौर पर किसी एक तर्क पर आम सहमति आज भी नहीं है।
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Tutankhamun Death Mask: मिस्र के फैरो, फिरोन या राजा तूतेनखामेन दुनिया की रहस्यमय शख्सियतों में से एक है. जब तक उसने मिस्र की कमान संभाली थी उसे एक साधारण राजा के तौर पर ही देखा गया था. दरअसल 9 साल की उम्र में वो राजा बना था और सिर्फ 9 साल तक ही राज कर सका था लिहाजा उसके खाते में किसी तरह की खास कामयाबी नहीं थी. ये बात अलग है कि 1922 में जब उसके मकबरे के बारे में जानकारी मिली तो पूरी दुनिया हैरान रह गई थी.तूतेनखामेन के बारे में वैसे तो कई तरह की जानकारी अब सार्वजनिक है लेकिन उसकी मौत और डेथ मास्क (Tutankhamun mask)के बारे में जैसे जैसे जानकारी मिली दो तरह के सवाल उठे. पहला यह कि 18 साल का राजा किसके लिए खतरा बना था.
उसकी मौत क्यों और कैसे हुई. क्या वो किसी रोग की वजह से मरा था या उसकी हत्या की गई थी. अगर हत्या हुई थी तो क्या उसके सिर पर पीछे से वार किया गया या उसके पैर को तोड़ा गया. जानकार कहते हैं कि पैर टूटने की वजह से किसी की मौत हो गले से नीचे नहीं उतरता. जहां तक उसकी मौत के पीछे वजह हो सकती है वो सिर के पीछे वार या रक्त संक्रमण को जिम्मेदार माना जा सकता है.तूतेनखामेन की स्टोरी में मौत की वजह पर जिक्र हो चुका है. यहां हम बात डेथ मास्क की करेंगे.
किससे बनी थी तूतेनखामेन की मास्क
मास्क को गोल्ड के दो लेयर से बनाया गया था. मास्क की आंखों और उसके कॉलर में जेमस्टोन जुड़े हुए थे. जिसमें लैपिस लाजुली, क्वार्ट्ज और ओबिस्डियन पर अधिक जोर था. मास्क बनाने में 1 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया
मास्क का महत्व
शोधकर्ताओं के लिए मास्क का महत्व इसलिए ज्यादा बढ़ा क्योंकि इसमें आर्ट और तकनीक को उच्चतम स्तर पर इस्तेमाल किया गया था. ममी के सिर को इसके जरिए लपेटा गया था ताकि सिर वाले हिस्से को और अधिक सुरक्षित रखा जा सके.
बुरी आत्मा का मास्क कनेक्शन
मिस्र के प्राचीन विश्वास के तहत ऐसा माना जाता था कि मास्क के जरिए मृत शरीर की आत्मा अपने शरीर को ढूंढ लेती है. इसके जरिए आत्मा और शरीर का मिलन आसानी से हो जाता है. इसके अलावा मृत शरीर को ये मास्क बुरी आत्माओं से बचाने में मदद करते थे. जानकार कहते हैं कि इसे पुख्ता वजह के तौर पर नहीं मान सकते हैं क्योंकि मिस्र के इतिहास में राजाओं की अंतिम विदाई पूरी शान के साथ दी जाती थी. जहां तक ममी के साथ बड़े पैमाने पर खजानों के भंडार की बात है तो उसका रिश्ता उसकी ताकत से होती थी.