Turkish President Recep Tayyip Erdogan: कट्टरवाद की राह पर चल निकले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन. 2020 में एर्दोगन ने हागिया सोफिया नाम के एक संग्रहालय को मस्जिद में बदल दिया था, जो कभी चर्च थी. एर्दोगन के इस हरकत की दुनियाभर में आलोचना की गई थी. लेकिन 4 साल बाद एर्दोगन ने आलोचनाओं को दरकिनार कर फिर एक चर्च को मस्जिद में बदल दिया है.
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Recep Tayyip Erdogan: मुस्लिम देशों का 'खलीफा' बनने के सपने देख रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगान अपने देश में ही ईसाइयों के निशाने पर आ गए हैं. उनका जमकर विरोध हो राह है. यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, जब ईसाई एर्दोगान से नाराज हुए हैं, इसके पहले भी उनका विरोध हुआ था.
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
चर्च को मस्जिद में बदला
कट्टरवाद की राह पर चल निकले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने अपने देश की एक और चर्च को मस्जिद में बदल दिया है. राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सोमवार को इसका उद्घाटन किया. बायजैंटीन काल की यह मशहूर
चर्च को सोमवार (छह मई, 2024) को मस्जिद के रूप में आधिकारिक तौर पर खोला गया है.
राजधानी अंकारा स्थित पैलेस कॉम्पलेक्स में कॉन्फ्रेंस हॉल से देश के खलीफा ने उस सेरेमनी की अध्यक्षता की, नेशनल टीवी पर कार्यक्रम के लाइव प्रसारण के दौरान तुर्किए के राष्ट्रपति ने कहा- मैं आशा करता कि ये हमारे लिए अच्छा समय लेकर आएं.
'मेरे लिए सम्मान की बात'
उन्होंने सरकारी अनादोलु एजेंसी से कहा, ''मैं चार साल से इसके खुलने का इंतजार कर रहा हूं.'' "ऐसी जगह पर प्रार्थना करना मेरे लिए सम्मान की बात थी."
पड़ोसी देश ने जताया विरोध
सोमवार को इस्तांबुल में बीजान्टिन चर्च को औपचारिक रूप से एक मस्जिद के रूप में खोले जाने का लोगों ने विरोध किया. समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के मुताबिक, ताजा घटनाक्रम के बाद ईसाई देशों में गुस्सा भड़का है. ग्रीस की सरकार ने चर्च को मस्जिद में तब्दील करने पर तुर्किए पर आरोप लगाया कि वह एक और वैश्विक धरोहर के 'चरित्र का अपमान' कर रहा है.
4 साल पहले एर्दोगन ने दिया था बदलने का आदेश
चार साल पहले तुर्किए सरकार ने इस चर्च को मुसलमानों का धर्मस्थल घोषित किया था. वहां की सरकार की ओर से यह कदम तब उठाया गया था,
इसके पहले भी चर्च को बनाया गया मस्जिद
तुर्किए ने इससे पहले कोरा के दि चर्च ऑफ सेंट सेवियर (तुर्किए की भाषा में 'कारिए') को आधिकारिक तौर पर मस्जिद में बदल दिया था. यह काम साल 2020 में किया गया था. बाद में इस्तांबुल के लैंडमार्क माने जाने वाले हागिया सोफिया (Hagia Sophia) को मुसलमानों के इबादतगाह में तब्दील कर दिया था.
मुस्लिम समाज में खुशी, ईसाइयों में गुस्सा
मुस्लिम समाज की ओर से इन धर्मस्थलों के परिवर्तन की तो तारीफ की गई मगर ग्रीस और अन्य देशों ने तुर्किए से अपील की कि वह बायजैंटीन दौर के अहम स्मारक स्थलों को संरक्षित करे. वे दोनों ही मॉन्यूमेंट्स संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के वैश्विक धरोहर स्थलों में शामिल थे.
मुस्लिम समाज के दरोगा बन रहे एर्दोगन
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के इस कदम की जहाँ उनके मुस्लिम वफादारों और समर्थकों ने तारीफ की है. विश्लेषकों का कहना है कि एर्दोगान हागिया सोफिया और अब चोरा चर्च को मस्जिद में बदलकर इस्लाम की ईसाइयत पर सर्वोच्चता को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. मुस्लिम देशों का 'खलीफा' बनने के सपने देख रहे एर्दोगान की असल चाहत क्या है यह किसी को नहीं पता, लेकिन जिस तरह से उनके फैसले है, उससे अदांजा लगाया जा सकता है कि वह मुस्लिम समाज में खुद को हीरो बनाने की चाहत में लगे हैं.