Titanic: टाइटैनिक अब और बीमार हो गया है.. मलबे पर भी मंडरा रहा संकट, हैरान कर देगी हकीकत
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Titanic: टाइटैनिक अब और बीमार हो गया है.. मलबे पर भी मंडरा रहा संकट, हैरान कर देगी हकीकत

Titanic News: टाइटैनिक के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा.. 15 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर में, चट्टान से टकराने के बाद समंदर में डूब गया था. उस हादसे में 1,517 लोगों की मौत हुई थी.

Titanic: टाइटैनिक अब और बीमार हो गया है.. मलबे पर भी मंडरा रहा संकट, हैरान कर देगी हकीकत

Titanic News: टाइटैनिक के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा.. 15 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर में, चट्टान से टकराने के बाद समंदर में डूब गया था. उस हादसे में 1,517 लोगों की मौत हुई थी. टाइटैनिक का मलबा आज भी समंदर की गहराई में पड़ा है. जिसे देखने के लिए लोग करोड़ों रुपये खर्च कर समंदर की हजारों फीट गहराई में जाते हैं.

शायद टाइटैनिक का मलबा भी खत्म हो जाए..

अफसोस, आने वाले वर्षों में शायद टाइटैनिक का मलबा भी खत्म हो जाए. विशेषज्ञों के मुताबिक अगले करीब 15 वर्षों में टाइटैनिक के मलबे को एक खास किस्म का बैक्टीरिया खत्म कर देगा. कनाडा और स्पेन के शोधकर्ताओं ने अपनी एक रिसर्च में दावा किया है कि जहाज की स्टील की सतहों पर नई प्रजातियों के टीले विकसित हो चुके हैं. ये सभी वास्तव में हेलोमोनास बैक्टीरिया हैं. इसकी पकड़ जैसे-जैसे फैलती जाएगी, टाइटैनिक का मलबा नष्ट होता जाएगा.

हेलोमोनास बैक्टीरिया

हेलोमोनास बैक्टीरिया के बारे में कहा जाता है कि ये दलदलजीवी होते हैं. जहां जितनी ज्यादा नमी होती है, वहां ये आसानी से अपना घर बना लेते हैं. ये बैक्टीरिया गहरे समुद्र में लोहे को नष्ट करने में सक्षम होते हैं. टाइटैनिक के मलबे पर जंग का स्तर काफी गहरा हो चुका है. जंग के अंदर कितनी नई प्रजातियों ने जन्म लिया होगा, ये भी कहा नहीं जा सकता है. 

मलबा भी धीरे-धीरे मिट्टी बन रहा

शोध के मुताबिक हेलोमोनस टाइटेनिका जीवाणु आने वाले कुछ सालों में टाइटैनिक के मलबे के अस्तित्व को भी खत्म कर देगा. यानी जिस टाइटैनिक जहाज के बारे में ये दावा किया गया था कि वो कभी डूबेगा नहीं. वो न सिर्फ डूब गया बल्कि उसका मलबा भी धीरे-धीरे मिट्टी बन रहा है.

महान जहाज की दुखद कहानी

टाइटैनिक अपने समय का सबसे बड़ा और शानदार जहाज था. 15 अप्रैल, 1912 को यह जहाज अपनी पहली ही यात्रा में अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर डूब गया था. इस दुर्घटना में 1500 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. यह हादसा आज भी इतिहास के सबसे बड़े समुद्री हादसों में से एक माना जाता है.

टाइटैनिक का मलबा कहां है?

कई वर्षों तक टाइटैनिक के मलबे को खोजने की कोशिशें की गईं. आखिरकार, 1985 में रॉबर्ट बलार्ड की अगुवाई में एक खोज दल ने उत्तरी अटलांटिक महासागर में लगभग 3,800 मीटर की गहराई पर टाइटैनिक के मलबे को खोज निकाला. जहाज के दो बड़े टुकड़े मिले, जो समुद्र की गहराई में बिखरे पड़े हैं.

मलबे की स्थिति

समुद्र की गहराई में लगभग 90 साल से दबा टाइटैनिक का मलबा धीरे-धीरे खराब हो रहा है. खारे पानी, समुद्र के उच्च दबाव और समुद्री जीवों के कारण मलबे पर लगातार क्षति हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दशकों में यह मलबा पूरी तरह से नष्ट हो सकता है.

टाइटैनिक के मलबे का महत्व

इतिहास का साक्षी: टाइटैनिक का मलबा 20वीं सदी की एक ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है. यह हमें उस समय की तकनीक, समाज और मानवीय गलतियों के बारे में बताता है.

समुद्री पुरातत्व: मलबे का अध्ययन समुद्री पुरातत्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इससे जहाज निर्माण, समुद्री यात्रा और समुद्री जीवन के बारे में नई जानकारियाँ मिलती हैं.

साहसिक यात्रा: दुनिया भर से लोग टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए गहरे समुद्र में जाने की हिम्मत करते हैं. यह एक महंगा और खतरनाक काम है, लेकिन फिर भी लोग इस ऐतिहासिक स्थल को देखना चाहते हैं.

टाइटैनिक के मलबे पर विवाद

टाइटैनिक के मलबे को लेकर अलग-अलग राय हैं. कुछ लोग मानते हैं कि इसे एक युद्ध स्मारक के रूप में छोड़ देना चाहिए, जहां यह बिना किसी हस्तक्षेप के आराम कर सके. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि मलबे से कुछ वस्त्र या कलाकृतियों को निकालकर संग्रहालयों में रखा जाना चाहिए ताकि अधिक लोग इसे देख सकें और इतिहास से सीख सकें.

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