भारत का यह पड़ोसी देश अपनी सेना को कर देगा आधा, पहले भी कर चुका है ऐसा
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भारत का यह पड़ोसी देश अपनी सेना को कर देगा आधा, पहले भी कर चुका है ऐसा

Economic Crisis: विदेशी मुद्रा की कमी के कारण यह देश ईंधन, उर्वरक और दवाओं सहित प्रमुख आयातों का खर्च वहन करने में असमर्थ था, जिसके कारण लंबी-लंबी कतारें लगीं. देश में महंगाई चरम पर पहुंच गई और जरुरी चीजों की कमी होने लगी. 

(प्रतीकात्मक फोटो)

Sri Lanka Economic Erisis: आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका ने 2030 तक अपनी सेना की मौजूदा संख्या घटाकर आधी करने की योजना की शुक्रवार को घोषणा की. बता दें 2023 के बजट में स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिए आवंटित राशि की तुलना में सैन्य व्यय के लिए अधिक आवंटन किया गया था जिसे लेकर सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा था.

वर्ष 2023 के बजट में 539 अरब रुपये के रक्षा आवंटन की घोषणा की गई थी क्योंकि श्रीलंका 1948 के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए 2023 के बजट में प्रत्येक के लिए 300 अरब रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है.

क्या कहा रक्षा मंत्रालय ने?
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक सेना की 200,783 की मौजूदा ताकत को घटाकर 100,000 कर दिया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि अगले साल तक यह संख्या 135,000 तक सीमित कर दी जाएगी.

राज्य की रक्षा मंत्री प्रमिथा बंडारा टेनाकून के हवाले से जारी बयान में कहा गया है, ‘रणनीतिक खाके का समग्र उद्देश्य वर्ष 2030 तक तकनीकी और सामरिक रूप से मजबूत और पूर्णरूपेण संतुलित रक्षा बल को आगामी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना है.’

विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका ईंधन, उर्वरक और दवाओं सहित प्रमुख आयातों का खर्च वहन करने में असमर्थ था, जिसके कारण लंबी-लंबी कतारें लगीं.

पहले भी आधा की गई थी सैन्य ताकत
हालांकि, 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) के साथ संघर्ष समाप्त होने के बाद से लगभग 400,000 की सैन्य ताकत को आधा कर दिया गया था. इसके बावजूद सैनिकों की 200,000 से अधिक की मौजूदा संख्या को भी अत्यधिक करार दिया गया है.

राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पिछले साल कहा था कि नई चुनौतियों का सामना करने के लिए श्रीलंका की सेना तैयार करने के वास्ते सैन्य रणनीति में सुधार की आवश्यकता है.

तमिल अल्पसंख्यक और अधिकार समूह उत्तरी और पूर्वी प्रांतों के संघर्ष वाले क्षेत्रों में सैन्य कटौती की मांग कर रहे हैं.

(इनपुट - भाषा)

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