क्या था शेख हसीना का प्लान 'कौमी मां', कैसे कट्टरपंथियों ने इसे पूरी तरह कर दिया नाकाम
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क्या था शेख हसीना का प्लान 'कौमी मां', कैसे कट्टरपंथियों ने इसे पूरी तरह कर दिया नाकाम

Sheikh Hasina: शेख हसीना को यूं तो हिंदुओं का हिमायती माना जाता था, लेकिन बांग्लादेश की राजनीति को समझने वाले कई लोग ये दावा करते हैं कि कहीं न कहीं हसीना इस नरेटिव को तोड़ना चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने कौमी मां प्लान बनाया था, लेकिन ये फेल हो गया.

क्या था शेख हसीना का प्लान 'कौमी मां', कैसे कट्टरपंथियों ने इसे पूरी तरह कर दिया नाकाम

Sheikh Hasina Qaumi Maa Plan: शेख हसीना... आज से 20 दिन पहले तक वो बांग्लादेश की वजीर-ए-आजम यानी प्रधानमत्री थीं. लेकिन, आज वो दुनियाभर में शरण मांग रही हैं. उनके अपने ही मुल्क की अवाम उनकी जान की दुश्मन हो गई है. बीते 15 सालों तक बांग्लादेश पर राज करने वाली शेख हसीना का ये हश्र हुआ कैसे? क्या शेख हसीना को नहीं पता था की ऐसा दिन भी आने वाला है? क्या शेख हसीना अपनी अवाम का ही मूड नहीं भांप पाईं? बांग्लादेश में मौजूद जी मीडिया की टीम ने इस मुद्दे पर पूरी इन्वेस्टिगेशन की तो सामने आया कि हसीना को इस दिन का अंदाजा तो था, लेकिन उन्होंने जो प्लान तैयार किया वो फेल हो गया.

तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर शेख हसीना का प्लान कौमी मां क्या था. और कैसे कट्टरपंथियों ने इसे पूरी तरह से नाकाम कर दिया. शेख हसीना ने कैसे अपने प्लान कौमी मां के तहत कट्टरपंथियों को साथ लाने का प्लान बनाया था और क्यों ये प्लान डेड हो गया. खुद को हिंदुओं का हिमायती बताने वाली शेख हसीना ने हिंदुओं के बजाय कट्टरपंथियों को अपने पाले में करने की कोशिश की, लेकिन कट्टरपंथियों ने इनकी कब्र खोद दी.

क्या था शेख हसीना का प्लान 'कौमी मां' कैसे हुआ फेल?

5 अगस्त 2024.. ढाका की सड़कों का मंजर काफी खतरनाक था. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का आधिकारिक आवास गन भवन अराजकता का केंद्र बन गया था. हजारों लोगों ने बांग्लादेश के सत्ता के केंद्र को कब्जे में ले लिया. जुबान पर जीत के नारे लगाते और विक्ट्री साइन दिखाते लोग जश्न मना रहे थे. ऐसा लग रहा था मानो कोई जंग जीत ली गई हो. प्रदर्शनकारियों को पीएम आवास के अंदर जो भी मिला उसे लूटकर ले गए. हां, अगर कुछ चीज बची तो वो थी शेख हसीना की जान. जिस तरह गुस्साई भीड़ देशभर में शेख हसीना और उनके पिता शेख मुजीबउर रहमान की तस्वीरों और उनकी प्रतिमाओं को तोड़ रही थीं, उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर हसीना उस वक्त गनभवन में मौजूद होतीं तो उनका क्या हश्र होता. इस बीच खबर आई कि शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है और सेना प्रमुख ने तख्तापलट की खबर दी.

बांग्लादेश में तख्तापलट तो हो गया, लेकिन इस बीच एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आरक्षण के नाम पर जो आंदोलन शुरू हुआ वो तख्तापलट तक कैसे पहुंचा. तो इस सवाल का जवाब हैं कट्टरपंथी. कट्टरपंथियों की वो जमात, जिसने भीड़ के अंदर नफरती जहर भर दिया. छात्रों के आंदोलन को बांग्लादेश के कट्टरपंथी मौलानाओं ने मानो हाईजैक कर लिया. बीते 15 साल से लगातार शेख हसीना बांग्लादेश में हुकूमत चला रही थीं. अगर ये कहा जाए की वो अवाम के इस आक्रोश को नहीं भांप पाईं थी तो ये गलत होगा. अगर ये कहा जाए की हसीना को उनके खिलाफ कट्टरपंथियों के प्लान की आहट नहीं थी तो ये सरासर गलत होगा. हसीना बखूबी जानती थीं कि मुल्क में क्या चल रहा है. बांग्लादेश में कैसे कट्टरपंथ हावी हो रहा है. यही वजह है कि उन्होंने कट्टरपंथ की आग को शांत करने के लिए 6 साल पहले एक प्लान बनाया था.

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शेख हसीना का 'प्लान कौमी मां'

शेख हसीना को यूं तो हिंदुओं का हिमायती माना जाता था, लेकिन बांग्लादेश की राजनीति को समझने वाले कई लोग ये दावा करते हैं कि कहीं न कहीं हसीना इस नरेटिव को तोड़ना चाहती थीं. यही वजह है कि उन्होंने पूरे बांग्लादेश में मॉडल मॉस्क बनाने का मेगाप्लान तैयार किया और इसके जरिए वो अपने पिता के 'फॉदर ऑफ द नेशन' इमेज को भी सरपास कर के कौमी मां का तमगा चाहती थीं. शेख हसीना ने अपने प्लान कौमी मां को फुल फ्लो में एक्टिवेट कर दिया. साल 2018 में हसीना सरकार ने देशभर में मॉडल मस्जिद बनाने का प्लान बनाया. अलग अलग शहरों में 564 स्टेट ऑफ द आर्ट मॉडल मॉस्क बनाने का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया. हसीना सरकार ने इसके लिए 6200 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया.

शेख हसीना इस बात से वाकिफ थीं कि जमात ए इस्लामी बांग्लादेश और इससे जुड़े राजनीतिक दल सालों से उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने की तैयारी में हैं. और इस प्लान को देश के अलग अलग कट्टरपंथी संगठन मस्जिदों में तकरीरों के जरिए फैला रहे थे.यही वजह है कि उन्होंने मॉडल मॉस्क बनाना शुरू किया. हसीना का प्लान था कि इस मस्जिदों को बनाकर वो कट्टरपंथियों को अपने पाले में कर लेंगे. इन मस्जिदों पर सरकार के सीधे कंट्रोल के जरिए वो जमात को साइडलाइन कर देंगी और कौमी मां का खिताब हासिल कर लेंगी. लेकिन, हसीना का ये प्लान फेल हो गया.

कैसे कट्टरपंथियों ने शेख हसीना का प्लान कर दिया नाकाम

कट्टरपंथ वो जहरीला सांप है जो उसे पालने वाले को ही सबसे पहले डसता है और बांग्लादेश में शेख हसीना के साथ भी वही हुआ. शेख हसीना ने अपने प्लान कौमी मां के तहत मस्जिदें तो बनवानी शुरू कर दीं. सोचा था की कट्टरपंथियों को अपने पाले में कर लेंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि कट्टरपंथी सरकार का साथ नहीं बल्कि सरकार पर कब्जा चाहते थे. हसीना के कौमी मां के खिलाफ कट्टरपंथियों ने अपना ऑपरेशन तख्तापलट शुरू कर दिया और सालों पहले से इसकी बिसात बिछानी शुरू कर दी थी.

शेख हसीना अपने जिस हिंदू हिमायती इमेज को तोड़ना चाहती थीं. कट्टरपंथियों ने इसी का इस्तेमाल किया और कौम के नाम पर हसीना के प्लान कौमी मां को फेल करने की प्लानिंग शुरू कर दी. कट्टरपंथियों और जमात ए इस्लामी के सहारे बांग्लादेश में कई बार हसीना सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश की गई. जनवरी 2015 में तत्कालीन विपक्षी पार्टी BNP ने हसीना सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. जमात ए इस्लामी और कट्टरपंथियों ने भी इसमें साथ दिया. जुलाई 2023 में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन चलाया गया, लेकिन सेना की मदद से इसे दबा दिया गया. जुलाई 2024 में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ. छात्रों के इस आंदोलन को भी कट्टरपंथियों और जमात ए इस्लामी ने हाईजैक कर लिया और फिर आई 5 अगस्त की वो तारीख जब आखिरकार बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया. शेख हसीना की सरकार को उन्हीं कट्टरपंथियों ने उखाड़ फेंका, जिन्हें हसीना अपनने पाले में करना चाहती थीं.

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फुल स्विंग में था प्लान मॉडल मस्जिद, फिर भी तख्तापलट

शेख हसीना का तख्तापलट ऐसे वक्त में हुआ, जब उनका प्लान मॉडल मस्जिद फुल स्विंग में था. साल 2018 में शुरू होने के बाद करीब 250 मस्जिदों का निर्माण पूरा भी हो गया था. बांग्लादेश के अलग-अलग जिलों में बनीं ये मस्जिदें वहां की लोकल अट्रैक्शन बन गईं, लेकिन इन मस्जिदों का बनाने का शेख हसीना का मकसद पूरा नहीं हो पाया. मस्जिदों में अवाम सिर्फ इबादत करने ही नहीं जाती है, बल्कि बांग्लादेश में मस्जिदें पॉलिटिकल इनफ्लूएंस का केंद्र भी हैं. बांग्लादेश की राजनीति में ठीक-ठाक जगह रखने वाली जमात ए इस्लामी ने इन्हीं मस्जिदों के दम पर अपनी पॉपुलैरिटी बढ़ाई है.

जमात के बढ़ते दबदबे को कम करने और कट्टरपंथियों को साथ लाने के लिए ही शेख हसीना ने साल 2018 में 564 मॉडल मस्जिद बनाने का ऐलान किया. शेख हसीना ने कहा था कि मॉडल मस्जिदों में इस्लाम का ज्ञान होगा. विशेषकर के मुस्लिमों के लिए व्यवस्था होगी. धर्म की शिक्षा दी जाएगी. इमामों के लिए प्रशिक्षण और धर्म को लेकर चीजों के लिए सुविधा होगी. हिंदुओं की हिमायती मानी जाने वाली शेख हसीना का प्लान मॉडल मॉस्क पहले तो लोगों के समझ में नहीं आया, लेकिन इस प्लान को चलिए डीकोड करते हैं.

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बांग्लादेश में कुल ढाई लाख मस्जिदें

बांग्लादेश में कुल ढाई लाख मस्जिदें हैं. अकेले राजधानी ढाका में 6 हजार से ज्यादा मस्जिदें हैं. इसी वजह से इसे सिटी ऑफ मॉस्क यानी मस्जिदों का शहर भी कहा जाता है. बावजूद इसके शेख हसीना ने देशभर में मॉडल मॉस्क और इस्लामिक कनवेंशन सेंटर बनवाए. संगमरमर के पत्थरों को तराशकर बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लेकर सुदूर इलाकों तक हसीना सरकार ने मस्जिदों का निर्माण करवाया. इन मॉडल मॉस्क्स में नमाज पढ़ने के साथ साथ मदरसों की व्यवस्था शुरू की गई.

10 जून 2021 को पहले फेस में 50 मस्जिदें बनाई गईं. 16 जनवरी को दूसरे फेज में 50 मस्जिदों का उद्घाटन किया गया. 16 मार्च 2023 को 50 और मस्जिदों का उद्घाटन किया गया और 19 अप्रैल 2023 तक 200 मस्जिदें बनकर तैयार हो गईं. अभी तक 350 मस्जिद निर्माण हो गए हैं. शेख हसीना ने कौमी मां बनने का जो सपना देखा था, वो बिल्कुल प्लान के अनुसार जा रहा था. मॉडल मॉस्क के जरिए शेख हसीना की बांग्लादेश ही नहीं इस्लामिक मुल्कों में भी ख्याती मिल रही थी. हिंदू हिमायती का नरेटिव धीरे धीरे खत्म हो रहा था, लेकिन करीब एक साल पहले जमात और कट्टरपंथी मौलानाओं ने शेख हसीना के खिलाफ कैंपेन शुरू कर दिया.

इन मस्जिदों के जरिए जिन कट्टरपंथी मौलानाओं को अपने पाले में लाने का प्लान था. वही, मौलाना हसीना के इस प्लान के खिलाफ खड़े होने लग गए. मौलानाओं ने शेख हसीना की हिंदुओं और हिंदुस्तान के साथ रिश्ते को सहारा बनाकर भीड़ को उनके खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया. एक तरफ मौलानाओं की एंटी हसीना तकरीरें चालू थीं तो दूसरी तरफ शेख हसीना का मॉडल मॉस्क प्लान. सात फेज में 350 मॉडल मस्जिदें बना दी गई थीं. चार फेज का काम बाकी था, लेकिन इसी बीच छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ और हसीना जिन कट्टरपंथियों को अपने पाले में करना चाहती थीं, उन्होंने ही उनके तख्त को पलटकर रख दिया.

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शेख हसीना ने हिंदुओं के लिए कुछ नहीं किया

पिता शेख मुजीब उर रहमान 'फादर ऑफ द नेशन' और बेटी शेख हसीना 'आउट ऑफ द नेशन'. ये एक अजीब विडंबना है, लेकिन ये नौबत आई कैसे? दरअसल, बांग्लादेश में एक तरफ कट्टरपंथियों ने ये नरेटिव फैलाया की हसीना हिंदू हिमायती हैं. वहीं, हिदुओं के लिए असल में हसीना ने कुछ खास किया नहीं. जुलाई 2024 में बांग्लादेश में छात्रों ने आंदोलन की शुरुआत की. मुद्दा था आरक्षण का, लेकिन देखते ही देखते ये इस आंदोलन की आग ने पूरे बांग्लादेश को जलाकर रख दिया.  आंदोलनकारियों की आड़ में कट्टरपंथियों ने पहले तो तख्तापलट किया. और उसके बाद निशाने पर आए अल्पसंख्यक हिंदू. हिंदुओं के घरों को चिन्हित कर के हमला किया गया. मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया. हालात ये हो गए हिंदू अपने ही देश में बेगाने हो गए हैं.

माना ये जा रहा है कि शेख हसीना के मुल्क छोड़ने के बाद वहां के हिंदुओं का कोई रहनुमा नहीं है,लेकिन ढाका में मौजूद जी मीडिया की टीम ने जब इस बाबत वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं से बात की तो सच्चाई कुछ और ही निकली.. शेख हसीना ने कट्टरपंथियों को साथ लाने के लिए उन्हें अपने पाले में करने के लिए मानो हिंदुओं को अनदेखा कर दिया. हिंदुओं पर हमले होते रहे, लेकिन हसीना सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही.

आंकड़ों में देखिए हिंदुओं की कितनी हिमायती है शेख हसीना

हसीना को यूं तो हिंदुओं का हिमायती कहा जाता है, लेकिन इसकी सच्चाई क्या है वो आंकड़ों के जरिए भी देख लीजिए. साल 2011 से 2013 के बीच बांग्लादेश में हजारों हिंदू विस्थापित हो गए. 2013 से अब तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर 3679 हमले हुए हैं. अकेले 2020 में ही 71 बार हिंदुओं पर हमले हुए. 17 मार्च , 2021 में हिंदू बहुत इलाकों पर हमले का सिलसिला शुरू हुआ था, जिसमें 600 हिंदू लड़कियों का यौन शोषण किया गया था. 15 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. बांग्लादेश में अभी तक हिंदुओं पर हुए हमलों के 20000 मामले अदालतों में पेंडिंग हैं.

इन आंकड़ों से ये तो साफ हो जाता है कि जो शेख हसीना खुद को हिंदुओं का हितैशी बताया करती थीं. उन्होंने भी हिंदुओं के लिए कुछ नहीं किया. सालों तक अल्पसंख्यक होने के नाम पर बांग्लादेशी हिंदू जो प्रताड़ना सहता आया है आज भी वही जारी है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि शेख हसीना ने जिन अल्पसंख्कों को कभी अपना नहीं माना वो आज उनकी वजह से मौत के मुंह में खड़े हैं. जिन कट्टरपंथियों और जमातियों को वो अपने पाले में करने की कोशिशें करती रहीं. उन्होंने उन्हें ही मुल्क छोड़ने को मजबूर कर दिया.

अपनी सत्ता को बचाने के लिए शेख हसीना ने कट्टरपंथियों को अपने पाले में लाने की कोशिश की, लेकिन इस बीच वो उन्होंने उन अल्पसंख्यक हिंदुओं का साथ छोड़ दिया. लेकिन,  शेख हसीना पर आफत आई. अपना मुल्क ही जब बेगाना बन गया तब एक इस्लामिक मुल्क उनकी हिफाजत के लिए सामने नहीं आया. हिंदुओं को अनदेखा करने वाली शेख हसीना को आखिरकार पनाह मिली तो हिंदुस्तान में.

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