Salman Rushdie stabbing: मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान चाकू से हमला हुआ. इस हमले के बाद वो वेंटिलेटर पर हैं. उन्हें दशकों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके जीवन से जुड़े कुछ फैक्ट्स हम आपको बता रहे हैं.
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Salman Rushdie On Ventilator: अमेरिका के न्यूयॉर्क में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ. चाकू से हुए इस हमले में रुश्दी बुरी तरह घायल हो गए. वो अभी वेंटिलेटर पर हैं. मुंबई में जन्मे रुश्दी का लेखन काफी विवादों में घिरा रहा है. उन्हें कई बार इस्लामी चरमपंथियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा. आज हम सलमान रुश्दी के जीवन से जुड़े कई फैक्ट्स आपको बताएंगे.
न्यूयॉर्क में हुए हमले को लेकर रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली के का कहना है कि उनकी की हालत गंभीर हैं. हमले के बाद उनका लीवर काम नहीं कर रहा है. साथ ही सलमान की एक आंख खोने की आशंका है, उनकी बांह की नसें टूट गई हैं.’
मुंबई में जन्मे विवादास्पद लेखक रुश्दी को ‘द सैटेनिक वर्सेज’ लिखने के बाद वर्षों तक इस्लामी चरमपंथियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा था. उन्हें न्यूजर्सी के 24-वर्षीय निवासी ने पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य में एक कार्यक्रम में चाकू मार दिया था.
न्यूयॉर्क राज्य पुलिस के मेजर यूजीन स्टैनिजेव्स्की ने बताया कि फेयरव्यू, न्यूजर्सी के हादी मटर (24) की पहचान उस संदिग्ध के रूप में हुई है, जिसने रुश्दी को चाकू मारा था.
75 साल के रुश्दी जब चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे, तभी उनकी गर्दन पर चाकू घोंपा गया था. चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन दक्षिण-पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य में चौटौक्वा झील पर एक गैर-लाभकारी समुदाय है, जहां नौ सप्ताह के सीजन के दौरान किसी भी दिन लगभग 7,500 लोग निवास करते हैं.
द सैटेनिक वर्सेज के अलावा रुश्दी साल 1981 में अपने दूसरे उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के साथ सुर्खियों में आए, जिसने इंटरनेशनल लेवल पर काफी प्रसिद्धि पाई और प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीता.
रुश्दी भारतीय मूल के एक ब्रिटिश नागरिक हैं, जो पिछले 20 साल से अमेरिका में रह रहे हैं. सलमान रुश्दी को उनकी किताब, द सैटेनिक वर्सेज को लेकर दशकों से धमकियों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ मौलवियों ने उपन्यास को पैगंबर मोहम्मद के प्रति अपमानजनक माना था.
ईरान के नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी की हत्या करने वाले के लिए इनाम की घोषणा की थी. एक दशक तक रुश्दी लोगों से छिपते रहे. उन्होंने अपने बच्चों को तक ये नहीं बताया कि वो कहां रहते हैं. 1998 में ईरानी सरकार ने जब फतवा लागू न करने की बात कही, तब रुश्दी सार्वजनिक तौर पर सामने आए.
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