दर्दनाक हालात से गुजर रहे भूकंप पीड़ित, कड़कती ठंड में खुले में सो रहे बच्चे
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दर्दनाक हालात से गुजर रहे भूकंप पीड़ित, कड़कती ठंड में खुले में सो रहे बच्चे

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप से बाल-बाल बचे लोग पिछली तीन रातों से बिना आश्रय के जिंदगी गुजार रहे हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि उनके पास बच्चों को भयंकर ठंड से बचाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि लोग छिटपुट समूहों के पास पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हैं।

फाइल फोटो (प्रतीकात्मक)

चित्राल : पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप से बाल-बाल बचे लोग पिछली तीन रातों से बिना आश्रय के जिंदगी गुजार रहे हैं। ग्राम प्रधानों का कहना है कि उनके पास बच्चों को भयंकर ठंड से बचाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि लोग छिटपुट समूहों के पास पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हैं।

बदहवास लोगों ने कंबलों, गरम कपड़ों और खाने-पीने की चीजों की मांग की है। सोमवार को इस क्षेत्र में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे 390 लोगों की जान चली गई और हजारों मकान ध्वस्त हो गए और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं।

विषम भौगोलिक स्थिति, क्षतिग्रस्त संचार लाइनें और अस्थिर सुरक्षा स्थिति से राहत प्रयासों में बाधा आई है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि उनके पास आपूर्ति के लिए नहीं के बराबर चीजें हैं। तीन महीने पहले भी इस क्षेत्र में विनाशकारी बाढ़ आई थी।

पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वां में चित्राल इलाके के दरोह गांव में एक अधिकारी मुहम्मद बहादुर ने कहा, 'सामान्यत: हमारे पास अपना भंडार होता है लेकिन हम बाढ़ के दौरान ही उसका उपभोग कर चुके अतएव इस भूकंप के बाद हमारे पास भंडार नहीं है।' 

बहादुर के अनुसार उनके गांव में भूकंप के दौरान महज 70 टेंट थे। उन्होंने कहा, 'करीब 2500 मकान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। कल्पना कीजिए, हम बस 70 टेंट से कैसे जरूरतें पूरी कर सकते हैं। सैकड़ों बच्चे अब रात के समय खुले आसमान के नीचे शून्य से भी नीचे के तापमान में सो रहे हैं। हम उनकी मदद के लिए एनजीओ को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि सर्दी आने वाली है और यह असह्य होगा।'

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