Moscow Terror Attack: मॉस्को में इस्लामिक स्टेट के जेहादियों ने जो किया वो कहीं सोवियत-अफगान वॉर जैसा हाल न बना दे, इस बार तो पाकिस्तान भी पिसेगा
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Moscow Terror Attack: मॉस्को में इस्लामिक स्टेट के जेहादियों ने जो किया वो कहीं सोवियत-अफगान वॉर जैसा हाल न बना दे, इस बार तो पाकिस्तान भी पिसेगा

Moscow Terror Attack: रूस की राजधानी मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में घातक आतंकवादी हमले ने 100 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दी. इस हमले ने रूस की बेचैनी बढ़ा दी है. रूस चुप बैठने वाले देशों में से नहीं है. दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए रूस किसी भी हद तक जा सकता है.

Moscow Terror Attack: मॉस्को में इस्लामिक स्टेट के जेहादियों ने जो किया वो कहीं सोवियत-अफगान वॉर जैसा हाल न बना दे, इस बार तो पाकिस्तान भी पिसेगा

Moscow Terror Attack: रूस की राजधानी मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में घातक आतंकवादी हमले ने 100 से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दी. इस हमले ने रूस की बेचैनी बढ़ा दी है. रूस चुप बैठने वाले देशों में से नहीं है. दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए रूस किसी भी हद तक जा सकता है. इसका ताजा उदाहरण यूक्रेन है. मॉस्को हमले ने सोवियत-अफगान युद्ध की याद दिला दी है. तब के सोवियत संघ और अब के रूस ने उस वक्त अफगानिस्तान में अफगान मुजाहिदीनों से लंबी जंग लड़ी थी. इस बार ऐसा कुछ हुआ तो पाकिस्तान को भी रूस के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है. आइये समझने की कोशिश करते हैं मॉस्को हमले के बाद सोवियत-अफगान युद्ध की चर्चा क्यों होने लगी है?

सोवियत-अफगान युद्ध

पहले आपको सोवियत-अफगान युद्ध के बारे में बताते हैं... 1979 में सोवियत संघ (अब रूस) ने अफगानिस्तान में अफगान मुजाहिदीनों के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. इस जंग में अफगानिस्तान सरकार रूस के साथ थी. जंग शुरू हुई और सोवियत सेना को काबुल पर कब्जा करने में कुछ दिन का ही वक्त लगा. लेकिन दुनिया के कई देशों ने सोवियत संघ के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया था.

तकरीबन 10 लाख लोग मारे गए थे

अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन जैसे कई ताकतवर देश सोवियत संघ के खिलाफ हो गए थे. इसके बाद विरोध की ये लड़ाई लगभग 9 साल तक चली थी. सोवियत संघ के खिलाफ दुनिया के अलग-अलग इलाकों से मुस्लिम लड़ाकों ने हमले शुरू कर दिए थे. सोवियत संघ ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे. 1979 से 1989 तक चली जंग में तकरीबन 10 लाख लोग मारे गए थे. इस जंग में सोवियत संघ की सेना के 15000 सैनिक भी मारे गए थे.

पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी

मॉस्को हमले के बाद भी सोवियत-अफगान युद्ध जैसी स्थिति की आशंका जताई जा रही है. अगर रूस ने इस्लामिक स्टेट खुरासान के खिलाफ जंग छेड़ दी तो इसमें कई देश पिस सकते हैं. पाकिस्तान को भी रूस का आक्रोश झेलना पड़ सकता है. क्योंकि इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएस-के) ईरान, मध्य एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है. आईएस-खुरासान 2014 के अंत में अफगानिस्तान में अस्तित्व में आया. मॉस्को हमले के बाद सामने आई कई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान इस्लामिक स्टेट-खुरासान के लड़ाके रूस में सक्रिय थे.

रूस उठा सकता है सख्त कदम

बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मॉस्को के कॉन्सर्ट हॉल पर हमले का जिम्मेदार ‘इस्लामिक कट्टरपंथियों’ को ठहराया है. पुतिन ने कहा है कि हत्याएं इस्लामी चरमपंथियों द्वारा की गईं. पुतिन के आधिकारिक बयान से अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि रूस चुप बैठने वाला नहीं है. और दुनिया के कोने-कोने से आईएस-के लड़ाकों को खोजकर बदला लेने की तैयारी में है. अगर ऐसा हुआ तो दुनिया आने वाले समय में एक और युद्ध देख सकती है. और यह युद्ध हुआ तो ये सोवियत-अफगान युद्ध जैसा ही होगा.

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