Kuwait fire: रहने की बद से बदतर स्थिति में भी मजदूरी के लिए कुवैत ही क्यों जाते हैं भारतीय?
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Kuwait fire: रहने की बद से बदतर स्थिति में भी मजदूरी के लिए कुवैत ही क्यों जाते हैं भारतीय?

Kuwait Fire Tragedy: भारतीय मजदूर कुवैत में बहुत ही विषम परिस्थितियों में रहते हैं. इन्हें रहने के लिए जो जगह दी जाती है वह तंग इलाकों में होता है, साथ ही इसमें क्षमता से अधिक लोगों को रखा जाता है. 

Kuwait fire: रहने की बद से बदतर स्थिति में भी मजदूरी के लिए कुवैत ही क्यों जाते हैं भारतीय?

Kuwait Fire Tragedy Updates: खाड़ी देश कुवैत के एक अपार्टमेंट में आग लगने से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में अधिकतर केरल, तमिलनाडु और उत्तर भारतीय राज्यों के भारतीय नागरिक शामिल हैं जिनकी उम्र 20 से 50 साल के बीच थी. 

कुवैत में लगभग 10 लाख लोग भारतीय रहते हैं. यानी कुल आबादी का 21 प्रतिशत और कुल श्रमशक्ति का 30 प्रतिशत लोग भारतीय हैं. इनमें से ज्यादातर मजदूरी का काम करते हैं. बढ़ई, राजमिस्त्री, घरेलू कामगार, फैब्रिकेटर, ड्राइवर और यहां तक ​​​​कि कूरियर डिलीवरी बॉय के लिए कुवैत बहुत हद तक भारतीय मजदूर पर निर्भर है.

कुवैत के सार्वजनिक प्राधिकरण (PACI) द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 तक कुवैत की जनसंख्या लगभग 48 लाख थी. इनमें से सिर्फ 15 लाख लोग ही स्थानीय हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कुवैत में कुल 33 लाख से ज्यादा प्रवासी लोग हैं.  इसमें से 61 प्रतिशत मजदूर और श्रमिक हैं.  भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बना हुआ है.

बद से बदतर है रहने की स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मजदूर बहुत ही विषम परिस्थितियों में रहते हैं. मजदूरों को रहने के लिए जो जगह दी जाती है वह कई बार पूरी तरह से बना भी नहीं होता है. तंग इलाकों में वह कमरा होता है क्षमता से अधिक लोगों को उसमें रखा जाता है. इसके बावजूद भारतीय मजदूर खाड़ी देशों को चुनते हैं क्योंकि यहां ना केवल अकुशल भारतीय श्रमिकों की मांग ज्यादा होती है बल्कि इसलिए भी क्योंकि यहां भारत की तुलना में कमाई भी काफी अधिक है.

कई रिपोर्टों की मानें तो यहां तक कि यदि निम्न कुशल श्रेणी के भी भारतीय मजदूरों के पास भी अगर थोड़ा-बहुत अनुभव है तो यहां बंपर वेतन मिलता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के नियमों के अनुसार, विदेशों में काम कर रहे भारतीय मजदूरों के लिए न्यूनतम रेफरल वेतन (एमआरडब्ल्यू) तय किया गया है. यह कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, सऊदी अरब और बहरीन में लागू है.

कुवैत जाने वाले भारतीय मजदूरों के लिए 2016 में भारत सरकार ने काम की 64 श्रेणियों के लिए मजदूरी सीमा 300-1,050 डॉलर की सीमा तय की थी.

ऐशियाई देशों की तुलना कुवैत में ज्यादा वेतन

खाड़ी देशों में भी ओमान और कतर में MRW कुवैत में दी जा रही पेशकश से थोड़ा बेहतर है. वहीं, इंडोनेशिया, मलेशिया और इराक जैसे अन्य एशियाई देशों की तुलना में कुवैत में मजदूरी बहुत अधिक हो सकता है.

हालांकि, MRW का लाभ उठाने के लिए भारतीय मजदूरों को विदेश मंत्रालय के ई-माइग्रेट पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है और विभिन्न देशों के संबंधित श्रम गतिशीलता समझौतों के नियमों और शर्तों के तहत यात्रा करनी होती है. उदाहरण के लिए कुवैत में बढ़ई, राजमिस्त्री, ड्राइवर और पाइपफिटर के लिए 300 डॉलर प्रति माह है जबकि भारी वाहन चालकों और घरेलू कामगारों का वेतन थोड़ा बेहतर है.

दिसंबर 2022 में संसद में एक सवाल का एक जवाब देते हुए तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा था कि छह खाड़ी देशों में रोजगार के लिए MRW को कोविड के कारण थोड़ा कम किया गया था. हालांकि, 2022 तक पहले जैसा कर दिया गया. सरकार ने उस समय कुवैत में भारतीय प्रवासियों की संख्या 9.24 लाख बताई थी, जो अब दस लाख से अधिक होने का अनुमान है.

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