Chinese spy balloon: चीन-अमेरिका के बीच मानो गुब्बारा युद्ध चल रहा हो. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि 28 जनवरी को अलास्का में अलेउतियन द्वीप समूह के वायु रक्षा क्षेत्र में चीनी गुब्बारा प्रवेश कर गया. आइए जानते हैं गुब्बारे से कैसे जासूसी की जाती है?
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What is Spy Balloons: जासूसी गुब्बारे के चक्कर में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है. अभी कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी सेना ने अटलांटिक महासागर में चीन के एक संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को नष्ट कर दिया है और अब इसके मलबे से सभी डिवाइसेस को बरामद किया जा रहा है. चीन की तरफ से भी 5 फरवरी को इस मामले को लेकर कार्रवाई करने की कड़ी प्रतिक्रिया दी है और धमकी दी है कि अमेरिका को इसके गंभीर अंजाम भुगतने होंगे. इस तरह के गुब्बारे से जासूसी प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में आम हो गई थी.
जान लीजिए इस गुब्बारे की खासियत
जासूसी के लिए इस गुब्बारे में एडवांस कैमरे लगे होते हैं. इन्हें जमीन से ही लॉन्च किया जाता है. इसकी खासियत यह है कि ये लंबे वक्त तक किसी क्षेत्र का अध्ययन कर सकता है. ये इतना एडवांस होता है कि जमीन से इसकी निगरानी करने में बहुत मुश्किल होती है. ये जमीन से बहुत ऊंचाई पर उड़ते हैं. इस वजह से इसका इस्तेमाल मौसम से जुड़ी जानकारी के लिए भी किया जाता है. अधिकारी बताते हैं कि जासूसी के लिए ये गुब्बारे सैटेलाइट्स से भी अच्छा काम करते हैं क्योंकि ये बहुत देर तक किसी इलाके को स्कैन करने में सक्षम रहते हैं.
फोटो लेने में माहिर
अधिकारियों के मुताबिक, सैटेलाइट से ओवरहेड जासूसी होती है. जिस हाइट से फ्लाइट उड़ती हैं उतनी ही हाइट से गुब्बारे उड़ते हैं. लो आर्बिट वाले सैटेलाइट की तुलना में ये गुब्बारे साफ फोटो लेते हैं. सैटेलाइट की गति की वजह से ये 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी कर लेते हैं. इसलिए इनकी फोटो आम तौर पर धुंधली आती है. नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बताते हैं कि ये गुब्बारे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को इकट्ठा कर लेते हैं और कम्युनिकेशन को भी बाधित कर सकते हैं. अमेरिका में किस तरह का ट्रैक सिस्टम इस्तेमाल हो रहा है. इस बात का पता लगाने के लिए चीनी गुब्बारे का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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