हमास के खिलाफ इजरायल आक्रामक अंदाज में हमले कर रहा है.ऑपरेशन टनल के जरिए गाजा पट्टी में आतंकियों को खात्मा कर रहा है. लेकिन उस लड़ाई का एक पक्ष यह भी है कि निर्दोष लोगों को कीमत चुकानी पड़ रही है. प्राइवेसी ना मिलने की वजह से महिलाओं को पीरियड्स रोकने के लिए पिल्स की मदद लेनी पड़ रही है.
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Israel Hamas war Latest News: आप खुद से सवाल करते होंगे कि जंग की जरूरत ही क्या है. लेकिन इस सवाल का जवाब इतिहास खुद देता है. जमीन की लड़ाई, अपने वजूद को बचाने की लड़ाई में लोग, समाज और राष्ट्र एक दूसरे से उलझ पड़ते हैं. इजरायल और हमास के बीच जो जंग छिड़ी है उसमें किसी के लिए जमीन की लड़ाई है तो किसी के लिए वजूद को बचाए रखने की कवायद. जमीन और वजूद की लड़ाई में खून दोनों पक्षों का बह रहा है. दोनों तरफ तनाव है और सबसे अधिक असर महिलाओं पर है. हमास आतंकियों के खिलाफ इजरायल का अभियान जारी है और उसका असर गाजा पट्टी पर साफ नजर आ रहा है. लड़ाई की वजह से गाजा के इलाकों में ना बिजली, ना पानी है. पानी ना होने की वजह से समंदर के खारे पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. वहीं शरणार्थी कैंपों में इतनी भीड़ है कि महिलाओं को प्राइवेसी नहीं मिल रही है और उस वजह से पीरियड्स रोकने के लिए पिल्स का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.
पीरियड्स रोकने के लिए पिल्स
पीरियड्स रोकने के लिए पिल्स खाया जा सकता है लेकिन जंग की वजह से, प्राइवेसी ना मिलने की वजह से पिल्स खाने के लिए औरतों को मजबूर होना पड़े तो हालात की गंभीरता को खुद ब खुद समझा जा सकता है. यहां हम एक फिलिस्तीनी महिला सलमा की परेशानी का जिक्र करेंगे. लेकिन सलमा जैसी हजारों महिलाएं जिनकी परेशानी एक जैसी है. परेशानी की वजह प्राइवेसी का ना होना और प्राइवेसी ना होने की वजह से पीरियड्स रोकने के लिए पिल्स खाने की मजबूरी. दरअसल लड़ाई की वजह से गाजा पट्टी में सैनिटरी नैपकिंस, टैंपून्स की कमी हो गई है और उसकी वजह से परेशान महिलाओं को पीरियड्स पिल्स खाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. जबकि महिलाओं को पता है कि पिल्स के साइड इफेक्ट्स क्या हैं.
सलमा तो सिर्फ उदाहरण है
गाजा के तेल अल हवा शहर पर जब इजरायल ने बम बरसाए तो सलमा को मजबूरन घर छोड़ना पड़ा. वो इस समय सेंट्रल गाजा के डेर अल बलाह कैंप में रह रही है. सलमा के मुताबिक उसकी जैसी हजारों औरतों के दिल और दिमाग में डर ने अपनी जगह बना रखी है. हर रोज अवसाद के दौर से गुजरना पड़ रहा है. सलमा बताती हैं कि वो इस जंग की वजह से सबसे खराब दौर से गुजर रही हैं. उन्हें अक्टूबर के महीने में दो बार पीरियड्स आए और हैवी ब्लीडिंग हो रही थी. वो पास के केमिस्ट की दुकान पर गईं और सैनिटरी नैपकिन मांगे, दुकानदार का जवाब था कि सैनिटरी नैपकिन की जगह आप पीरियड्स पिल्स ले सकती हैं और मजबूरी में पिल्स लेने पड़े.
कुछ इसी तरह की परेशानी का जिक्र रूबा सिफ भी करती हैं. उनका कहना है कि बॉथरूम में पानी नहीं आ रहा. दवा की दुकानों पर सैनिटरी नैपकिंस नहीं हैं, इस तरह के हालात में उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है, उनसे मेंस्ट्ल कैंप को सह पाना असंभव है लिहाजा पीरियड्स को रोकने के लिए पिल्स की मदद लेनी पड़ रही है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि पीरियड्स पिल्स खाने के कई नुकसान है, जैसे नेचुरल हार्मोंस साइकल बिगड़ जाता है, पेट में दर्द, मितली सामान्य सी बात हो जाती है.
करीब 14 लाख लोगों पर असर
लड़ाई की वजह से करीब 14 लाख लोग गाजा में एक इलाके से दूसरे इलाके में विस्थापित हो चुके हैं, यूएन के बने शरणार्थी कैंपों में डेरा डाले हुए हैं. कैंपों में एक एक कमरे में सैकड़ों की संख्या में लोग भरे हुए हैं और उसकी वजह से बच्चें और महिलाओं पर सबसे अधिक असर है, पानी की कमी है लिहाजा उन्हें समंदर के पानी से बर्तनों को धोना पड़ रहा है, इस लड़ाई में अब तक 8500 फिलिस्तीनी नागरिकों के मारे जाने की खबर है जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. उत्तरी गाजा में रह रहे लोगों को इजरायल लगातार चेतावनी दे रहा है कि वो लोग मध्य और दक्षिण गाजा की तरफ चले जाएं।