Khatna: क्यों किया जाता है मुस्लिम महिलाओं का खतना? खौफनाक दर्द से गुजरती हैं लाखों लड़कियां
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Khatna: क्यों किया जाता है मुस्लिम महिलाओं का खतना? खौफनाक दर्द से गुजरती हैं लाखों लड़कियां

Muslims mein Kyun Kiya Jata Hai Khatna: भारत में बोहरा समुदाय की मुस्लिम महिलाओं को इस दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. साल 2008 में मिस्र ने महिलाओं के खतना पर बैन लगा दिया था. लेकिन फिर भी वहां महिलाओं के खतना के सबसे ज्यादा मामले आ रहे हैं.

Khatna: क्यों किया जाता है मुस्लिम महिलाओं का खतना? खौफनाक दर्द से गुजरती हैं लाखों लड़कियां

Khatna in Islam: खतना शब्द आपने जरूर सुना होगा. इस्लाम में मुस्लिम पुरुषों का खतना तो आम बात है. लेकिन दुनिया के कई देशों में महिलाओं का खतना आज भी हो रहा है. अंग्रेजी में इसको फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) कहा जाता है. रविवार को पोप फ्रांसिस ने कहा कि महिलाओं के खतना की प्रथा एक क्राइम है. उनके अधिकारों, अवसरों और समानता की जंग जारी रहनी चाहिए. खतना की प्रथा पर काफी समय से बहस चल रही है.  रिपोर्ट्स की माने तो रूढ़िवादी मुसलमानों में महिलाओं को खतना के बाद 'शुद्ध' या 'निकाह के लिए तैयार' माना जाता है.

भारत में भी जारी है प्रक्रिया

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में बोहरा समुदाय की मुस्लिम महिलाओं को इस दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. साल 2008 में मिस्र ने महिलाओं के खतना पर बैन लगा दिया था. लेकिन फिर भी वहां महिलाओं के खतना के सबसे ज्यादा मामले आ रहे हैं. पोप फ्रांसिस ने बहरीन से लौटते हुए इस खौफनाक रिवाज का जिक्र किया. उन्होंने कहा, क्या हम संसार में लड़कियों के साथ हो रही इस त्रासदी को रोक नहीं सकते? ये खौफनाक है कि यह रिवाज आज भी मौजूद है, जिसे इंसानियत रोक नहीं पा रही है. यह एक क्राइम है. 

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की माने तो यह कुप्रथा मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के 30 देशों में है. अन्य जगहों पर अप्रवासी आबादी भी इस प्रथा को मानती है. यूएन के मुताबिक, इस वर्ष करीब 40 लाख से ज्यादा लड़कियां इस खौफनाक प्रक्रिया से गुजर सकती हैं. 

क्यों होता है खतना?

यह एक दर्दनाक प्रक्रिया है. इसके तहत महिलाओं के जननांगों को विकृत कर दिया जाता है. उनके गुप्तांगों को किसी धारदार चीज से काटकर अलग किया जाता है. कई देशों में इसका विरोध होता है. ग्लोबल लीडर्स ने साल 2030 तक इसको पूरी तरह खत्म करने का वादा तक किया है. लेकिन सच यही है कि आज भी पश्चिमी देशों में लड़कियां इसका दंश झेल रही हैं. 

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