यूरोपीय प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने तेल को लेकर किया बड़ा फैसला, भारत का हो गया तगड़ा फायदा
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यूरोपीय प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने तेल को लेकर किया बड़ा फैसला, भारत का हो गया तगड़ा फायदा

India-Russia Relations: रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला शुरू कर दिया था और तब से पश्चिमी देश उसे दंडित करने के लिए अन्य देशों से रूसी तेल का त्याग करने के लिए कहते रहे हैं. जबकि भारत सरकार रूस के साथ अपने तेल व्यापार का यह कहते हुए पुरजोर बचाव करती रही है कि वह तेल वहीं से लेगी जहां यह सबसे सस्ता होगा.

यूरोपीय प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने तेल को लेकर किया बड़ा फैसला, भारत का हो गया तगड़ा फायदा

Russia Ukraine War: रूस और भारत के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं और यूक्रेन युद्ध के दौरान भी दोनों के संबंधों में कोई अंतर नहीं आया है बल्कि इस बीच भारत के साथ रूसी तेल का कारोबार और बेहतर हुआ है. अब खबर है कि रूस आर्कटिक क्षेत्र से निकलने वाले कच्चे तेल को भी भारत और चीन को बेच रहा है, वह भी छूट के साथ.  यह तेल पहले यूरोप को सप्लाई किया जाता था लेकिन पिछले महीने से यूरोपीय देशों ने तेल खरीदना बंद कर दिया जिसके बाद इस तेल को दूसरे देशों को देना शुरू कर दिया गया.

यूरोपीय यूनियन, जी-7 देशों के समूह और ऑस्ट्रेलिया ने दिसंबर में मॉस्को के खिलाफ कदम कड़ा कदम उठाते हुए रूसी तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था. इन देशों की ओर से कहा गया था कि अगर रूस प्राइस कैप को नहीं मानेगा तो उस पर कई और प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे. हालांकि रूस पर इसका कोई असर नहीं पड़ा बल्कि उसने यह घोषणा कर दी कि जो देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाएगा वह उसे तेल नहीं बेचेगा. इसके बाद आर्कटिक क्षेत्र का तेल यूरोपीय देशों को देना बंद कर दिया गया.  सिंगापुर के एक व्यापारी ने कहा, 'आर्कटिक क्रूड तेल आमतौर पर यूरोपीय संघ में जाते हैं, लेकिन अब उन्हें कहीं और जाना होगा.'

मई से लगातार बढ़ रही है सप्लाई
भारत को आर्कटिक तेल की सप्लाई मई 2022 से लगातार बढ़ती जा रही है. नवंबर में रिकॉर्ड करीब 66 लाख बैरल तेल रूस ने भारत को दिया जबकि दिसंबर में 41 लाख बैरल.  आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह भारत ने आर्कटिक क्षेत्र के ही वरांडे क्रूड का पहला कार्गो 27 दिसंबर को भारत के कोच्चि बंदरगाह पहुंचा.

भारत का पश्चिम देशों को साफ जवाब
उल्लेखनीय है कि रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला शुरू कर दिया था और तब से पश्चिमी देश उसे दंडित करने के लिए अन्य देशों से रूसी तेल का त्याग करने के लिए कहते रहे हैं. जबकि भारत सरकार रूस के साथ अपने तेल व्यापार का यह कहते हुए पुरजोर बचाव करती रही है कि वह तेल वहीं से लेगी जहां यह सबसे सस्ता होगा.

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