Greenland: 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ग्रीनलैंड पर टेढ़ी नजरें गड़ा ली हैं. उन्होंने अपने हालिया बयान में दुनिया के इस सबसे बड़े द्वीप को खरीदने की बात कही है.
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Greenland: अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर नजरे गड़ाने के बाद अब ग्रीनलैंड खरीदने की बात भी कर दी है. उन्होंने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने की अपनी बात को दोहराया है.अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने यह बात कही थी लेकिन पिछली बार कामयाबी नहीं मिली थी. इसके साथ उन मित्र देशों की सूची में डेनमार्क भी शामिल हो गया है, जिनके साथ ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने से पहले ही टकराव का रुख अख्तियार कर रहे हैं.
रविवार को डेनमार्क में अपने राजदूत के नाम का ऐलान करते हुए ट्रंप ने लिखा,'पूरी दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के मकसद से अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और कंट्रोल बेहद जरूरती है.' जवाब में डेनमार्क के शासनाध्यक्ष म्यूटे बोरुप एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कंट्रोल की ट्रंप की ताजा अपील उनके पहले कार्यकाल की तरह ही बेकार रहेगी. उन्होंने कहा,'ग्रीनलैंड हमारा है. हम बेचने के लिए तैयार नहीं हैं और कभी भी बिक्री नहीं करेंगे. हमें स्वतंत्रता के लिए अपनी वर्षों पुरानी लड़ाई नहीं हारनी चाहिए.'
इससे पहले उन्होंने सप्ताहांत में सुझाव दिया था कि अगर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से हासिल कर सकता है.
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच मौजूद है. यह 80 फीसद हिस्से पर बर्फ की चादर रहती है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा भी है. इसकी राजधानी नुक (Nuuk) है, जो देश का सबसे बड़ा शहर भी है लेकिन इसकी आबादी बहुत कम है. 2023 के मुताबिक ग्रीनलैंड की आबादी सिर्फ 56000 है. ग्रीनलैंड डेनमार्क के अधीन है, 1979 में इसे स्वायत्तता प्राप्त हुई.
ग्रीनलैंड की खोज की बात करें तो 10वीं सदी में नॉर्स वाइकिंग्स (Norse Vikings) ने इसकी खोज की थी. इसके बाद एरिक द रेड ने ग्रीनलैंड पर पहली यूरोपीय बस्ती कायम की. यह कब्जा कुछ सदियों तक जारी रहा लेकिन बेहद मुश्किल परिस्थितियों और कठोर जलवायु उन्होंने ये कब्जा छोड़ दिया था. इसके बाद 1397 में डेनमार्क और नॉर्वे का एक संघ बना, जिसे कैलमार यूनियन कहा गया. इस संघ के तहत इन नॉर्वे और डेनामार्क ने संयुक्त रूप से ग्रीनलैंड पर शासन किया. इसके बाद 1814 में कील संधि यानी Treaty of Kiel की वजह से इन दोनों का यह संघ टूट गिया और इसके बाद नॉर्वे स्वीडन के अधीन चला गया. जबकि ग्रीनलैंड, आइसलैंड, और फरो आइलैंड्स पर डेनमार्क ने अपना कंट्रोल बनाए रखा.