Chandrayaan-3 की कामयाबी के बाद रूस ने छोड़ा चीन का चक्‍कर, स्‍पेस रेस में बनना चाहता है भारत का पार्टनर!
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Chandrayaan-3 की कामयाबी के बाद रूस ने छोड़ा चीन का चक्‍कर, स्‍पेस रेस में बनना चाहता है भारत का पार्टनर!

Chandrayaan-3 Success: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को पीएम मोदी से फोन पर बात की और एक बार फिर चंद्रयान 3 की सफलता के लिए भारत को बधाई दी. 

Chandrayaan-3 की कामयाबी के बाद रूस ने छोड़ा चीन का चक्‍कर, स्‍पेस रेस में बनना चाहता है भारत का पार्टनर!

Russian Space Program: चंद्रयान 3 की सफलता ने दुनिया को भारत का मुरीद बना दिया है. लूना 25 की नाकामी से निराश रूस अब अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के साथ अधिक से अधिक सहयोग करना चाहता है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को पीएम मोदी से फोन पर बात की थी. पीएमओ के मुताबिक, टेलीफोन पर हुई इस बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की और प्रधानमंत्री को बताया कि इस बैठक में रूस का प्रतिनिधित्व रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे.

इस दौरान पुतिन ने चंद्रयान 3 की सफलता के लिए पीएम मोदी को एक बार फिर बधाई दी. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमति बनी.

अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर रूस का जोर
क्रेमलिन ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के लिए एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई दी. इस दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और विकसित करने की तत्परता की पुष्टि की गई.

बता दें रूस अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चीन पर काफी हद तक निर्भर है. हालांकि अब रूस भारत का सहयोग चाहता है. रूस अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन गगनयान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसे 2024 की चौथी तिमाही में लॉन्च करने का लक्ष्य रखा गया है.

रोस्कोस्मोस और इसरो के बीच समझौता
रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस और इसरो ने सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका लक्ष्य लॉन्च व्हीकल्स के विकास, विभिन्न कार्यों के लिए अंतरिक्ष यान का निर्माण और उपयोग, जमीन आधारित अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ग्रहों की खोज सहित शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए भारत और रूस की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए एक साझेदारी को विकसित करना है.

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