Sleeping Positions: सोने की स्थिति का शरीर की फिटनेस पर पड़ता है असर, जानिए स्लीपिंग पोजीशंस के फायदे और नुकसान
Advertisement
trendingNow11228404

Sleeping Positions: सोने की स्थिति का शरीर की फिटनेस पर पड़ता है असर, जानिए स्लीपिंग पोजीशंस के फायदे और नुकसान

Sleeping Positions: क्या आप जानते हैं कि बॉडी की अच्छी फिटनेस आपकी स्लीपिंग पोजीशंस पर काफी हद तक निर्भर करती हैं. आपका सोने का तरीका जितना सही होगा, आप शारीरिक रूप से भी उतना ही फिट रहेंगे. 

Sleeping Positions: सोने की स्थिति का शरीर की फिटनेस पर पड़ता है असर, जानिए स्लीपिंग पोजीशंस के फायदे और नुकसान

Sleeping Positions: हर कोई रात को अच्छी नींद लेना चाहता है और यह हमारे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है. अगर नींद अच्छी होती है तो अपने आप ही कई सारी चीजें बेहतर हो जाती है लेकिन यदि नींद के साथ कुछ समस्या है तो वह मानसिक और शारीरिक सेहत, दोनों को ही प्रभावित करती है. कुछ लोगों को बहुत गहरी नींद आती है तो कुछ की नींद बार- बार खुल जाती है, दोनों ही स्थितियों के अपने- अपने दुष्प्रभाव है. 

ऐसी कई वजह हैं, जो आपकी नींद को प्रभावित कर सकती हैं जिसमें कमरे का वातावरण, गद्दे, आपके तनाव का स्तर, आपका आहार आदि शामिल हैं. अक्सर बॉडी पोजीशन को अनदेखा किया जाता है, बॉडी पोजीशन वास्तव में रात की एक अच्छी नींद के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है.

साथ ही आप यह जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि आपका स्लीपिंग पोस्चर आपके स्वास्थ्य पर काफी असर डालता है. अपनी दाएं, बाएं, पीठ या पेट के बल सोने से आपका स्वास्थ्य और व्यवहार बहुत प्रभावित होता है. स्लीपिंग पोस्चर न केवल शारीरिक रूप से प्रभावित करता है बल्कि यह आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है और मनोदशा विकारों, अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे मस्तिष्क विकारों में योगदान दे सकता है.

इतना ही नहीं, स्लीपिंग पोस्चर खर्राटे, एसिड रिफ्लेक्स, पेट में जलन, स्लीप एपनिया और यहां तक कि झुर्रियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यहां सबसे अच्छी और सबसे खराब स्लीपिंग पोजीशंस और आपके स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव बताए गए हैं -

1) अपने हाथों को बराबर में रखकर पीठ के बल सोना 

पीठ के बल लेटकर अपने हाथों को अपने दोनों तरफ बराबर में रखें. यह पोजीशन 'सैनिक मुद्रा' के रूप में भी जानी जाती है. पीठ के बल सोना आमतौर पर आपकी रीढ़ की हड्डी के लिए सबसे अच्छी स्थिति माना जाती है. इससे पीठ लगातार सीधी रहती है और डिस्क पर दबाव कम हो जाता है. इस प्रकार गर्दन में दर्द और पीठ को रोक जाता है. इसके अलावा पीठ के बल सोना एसिड रिफ्लक्स को कम कर देता है और चुस्त स्तनों को बनाए रखने में मदद करता है. इससे चेहरे की झुर्रियां भी कम होती हैं. 

2) सिर के ऊपर हाथों को रखकर पीठ के बल सोना 

अपनी पीठ पर लेटना और अपने चेहरे के पास सिर के ऊपर अपने हाथों को रखकर सोना. इसे 'स्टारफ़िश' स्थिति भी कहा जाता है. बैक स्लीपिंग आपकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन की सेहत के मामले में सबसे अच्छी स्थिति मानी जाती है. इससे डिस्क पर दबाव कम हो जाता है. इस प्रकार गर्दन में दर्द और पीठ दर्द रुक जाता है. यह एसिड रिफ्लक्स को कम करने में मदद करती है क्योंकि इसमें सिर ऊंचा उठा होता है और पेट अन्नप्रणाली के नीचे बैठने में सक्षम होता है. यह पचाने वाले पदार्थ को अन्नप्रणाली में वापस आने से रोकता है. यह मुद्रा भी चेहरे की झुर्रियों और त्वचा के ब्रेकआउट को रोकती है.

3) बाजुओं को साइड में रखकर अपनी तरफ सोना 

अपनी दोनों बाजुओ के साथ एक सीधी रेखा में नीचे की तरफ करके सोना. इसे 'लॉग' आसन के रूप में भी जाना जाता है. यह रीढ़ की हड्डी के लिए एक आदर्श स्थिति है, क्योंकि इससे प्राकृतिक वक्र (natural curve) को सीधा रखने में मदद मिलती है. सीधी रीढ़ की हड्डी न केवल पीठ और गर्दन के दर्द को रोकती है बल्कि स्लीप एपनिया भी कम करती है. इस स्थिति में सोने से खर्राटे लेना भी कम हो जाता है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे अच्छी स्लीपिंग पोज़ीशन है.

4) हाथो को बाहर की ओर फैलाकर अपनी साइड सोना

हाथो को बाहर की ओर फैलाकर अपनी साइड सोना. अपनी तरफ होकर सोना और सोते समय अपने पैरों को हल्का सा मोड़ना, हाथों को बाहर की ओर फैलाना. इसे 'अभिलाषी' स्थिति के रूप में भी जाना जाता है. यह नींद की स्थिति पीठ और गर्दन के दर्द को रोकती है. इसके अलावा, यह खर्राटों को कम करने, जलन और एसिड रिफ्लक्स को कम करने में मदद करती है.

इतना ही नहीं, नींद की इस स्थिति में भी शरीर को मस्तिष्क से अधिक कुशलतापूर्वक अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसे मस्तिष्क विकारों के विकास के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती है. इस पोजीशन में सोने वाले लोगों की रात मे जागने की संभावना नहीं होती है.

ये भी पढ़ें- Face Care Tips: फेस पर नेचुरल तरीके से आएगा ग्लो, बस याद रखें ये बातें

5) बायीं या दायीं ओर सोना 

बायीं या दायीं ओर सोना गर्दन और पीठ दर्द, एसिड रिफ्लक्स, खर्राटे और स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है. लोगों को इस मुद्रा में घबराहट होने की संभावना कम होती है, क्योंकि इससे वायुमार्ग खुला रहता है. यह आसन उन लोगों को करने की सलाह दी जाती है जिनको स्लीप एपनिया है. साइड स्लीपिंग भी रीढ़ की हड्डी को बढ़ाती है, जिससे पीठ दर्द को कम करने में मदद मिलती है. बाईं ओर सोना गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे भ्रूण के रक्त परिसंचरण में सुधार होता है. 2012 में प्रकाशित  एक अध्ययन से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान अपने बायीं ओर सोने से स्वस्थ रक्त प्रवाह बढ़ सकता है, जो आपके और आपके बच्चे के लिए अधिकतम ऑक्सीजन का स्तर प्रदान कर सकता है.

6) दोनों घुटनों को मोड़कर सोना 

अपने दोनों घुटनों को मोड़कर अपनी छाती से लगाकर सोना. यह फीटस या भ्रूण पोजीशन भी कहते हैं. यह स्थिति काफी हद तक खर्राटे को रोकती है. यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी एक अच्छी स्थिति है. इस पोजीशन में अपनी बाईं ओर सोने से एसिड रिफ्लक्स को कम करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि यह पेट को अन्नप्रणाली के नीचे रखेगी.

7) पेट के बल सोना 

अपने पेट पर मुंह के बल सोना. इस प्रकार की नींद की मुद्रा को 'फ्रीफॉल' मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. इस प्रकार सोने से खर्राटों को कम किया जा सकता है. यह आसन एक निश्चित डिग्री तक पाचन सुधारने में भी मदद करता है. (हालांकि, इस स्थिति में लंबे समय तक सोने से आपके पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.)

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन में प्रकाशित एक 2012 के अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अपने पेट पर सोते हैं वे अन्य स्थितियों में सोने वालो की तुलना में कामुक सपने काफी अधिक आते हैं.

नोट- यदि ऊपर दिए गए सुझावों से आपको किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो किसी डॉक्टर से अवश्य सलाह लें.

LIVE TV

Trending news