Science Of Happiness: मिल गया हमेशा खुश रहने का राज! रिसर्च में हुआ खुलासा; सामने आईं ये रोचक बातें
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Science Of Happiness: मिल गया हमेशा खुश रहने का राज! रिसर्च में हुआ खुलासा; सामने आईं ये रोचक बातें

Research On Happiness: कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों (University of California ) ने 'खुशी' (Happiness) को लेकर एक रोचक रिसर्च की. इस रिसर्च में कुछ ऐसी बातें समाने आईं जो आपके जीवन को बदल सकती हैं. हांलाकि हम सभी जानते हैं दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं और जीवन में आने वाले वाली खुशियां भी उनमें से एक हैं लेकिन फिर भी रिसर्चर्स ने कुछ जरूरी बातों के बारे में बताया जो आपकी खुशियों को कहीं खोने नहीं देंगे.

 

फाइल फोटो

University of California Research On Happiness: जीवन की खुशियों को लेकर महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है कि खुशी खुद पर निर्भर करती है. यानी कोई इंसान खुशियों के लिए किसी और पर निर्भर न होकर खुद से प्रयास करे तो ज्यादा अच्छा होगा. मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. सोनजा कोंगोमिर्स्की ने इस विषय पर लंबा रिसर्च किया है. उनके अनुसार हर किसी के लिए खुशियां का एक निर्धारित बिंदु होता है. अपने रिसर्च में उन्होंने पाया कि जीवन में 50 फीसदी खुशियों के लिए अनुवांशिक सेट जिम्मेदार होते हैं, वहीं 10 फीसदी खुशियों में जीवन की परिस्थितियां का बड़ा रोल होता है. इसके अलावा बाकी बची 40 फीसदी के लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं. यानी अपनी खुशियों का बड़ा हिस्सा आप खुद नियंत्रित करते हैं जिसमें आपकी आदतें और आपका नजरियां बड़ी भागीदारी निभाता है.

खुश रहने के लिए क्या करें?

कई लोग समाज से खुद को आइसोलेट कर लेते हैं. रिसर्च में पाया गया है कि ऐसे लोगों ज्यादा दुखी होते हैं. वहीं एक सामाजिक व्यक्ति ज्यादा खुश रहता है. खुश रहने के लिए अपने जीवन को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है. इसके अलावा अपने काम का दोष किसी और पर डालना भी दुख को बुलावा देना है. आश्चर्यजनक चीजों से कुछ लोग दूर भागते हैं लेकिन एक सच्चा आश्चर्य प्रेरणादायक होता है और जीवन को समृद्धि की ओर ले जाता है. इसलिए सरप्राइज से पीछे नहीं हटना चाहिए. दूसरे लोगों के व्यवहार को अपने हिसाब से कभी कंट्रोल न करें. यह खुद को दुखी करने जैसा है. सोशियोपैथ को मतलबी होने में ज्यादा मजा मिलता है लेकिन यह कुछ देर के लिए होता है इसलिए किसी की भी आलोचना करने और बुरा बोलने से बचें, क्योंकि इससे नकारात्मकता का जाल तैयार होता है.

कौन सी बातें कर देती हैं दुखी?

आपकी नकारात्मकता आपको सबसे ज्यादा दुखी करती है. इससे बचने के लिए आपको स्वंय काम करना होगा. अगर लोग आपके कपड़े, आपकी कार और आपकी नौकरी को पसंद करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि वे आपको पसंद कर रहे हैं. ऐसे लोगों के पास जाना आपको आगे चलकर मुश्किल में डालता है. हर बार जीवन उस तरह नहीं चलता जैसा हम चाहते हैं, इसलिए ज्यादा इच्छाएं भी आपको दुखी करती हैं. नकारात्मक लोगों के इर्द-गिर्द घूमना भी आपको दुखी बनाता है. कोई भी जो आपको बेकार, चिंतित या उदासीन महसूस कराता है, वह आपका समय बर्बाद कर रहा है.

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