39 साल बाद एक बार फिर नागौर में दिलचस्प चुनाव, चाचा के सामने भतीजी
Advertisement
trendingNow11964492

39 साल बाद एक बार फिर नागौर में दिलचस्प चुनाव, चाचा के सामने भतीजी

राजस्थान के सियासी रण में नागौर विधानसभा सीट चर्चा के केंद्र में है. मिर्धा परिवार के दो सदस्य आमने सामने हैं जिनमें चाचा और भतीजी का रिश्ता है. दोनों उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं. हालांकि औपचारिक नतीजों का ऐलान 3 दिसंबर को होगा.

39 साल बाद एक बार फिर नागौर में दिलचस्प चुनाव, चाचा के सामने भतीजी

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में दिलचस्प मामले सामने आ रहे हैं. सियासत ने एक ही परिवार के लोगों को आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया है. यहां हम बात नागौर विधानसभा की करेंगे जहां हरेंद्र मिर्धा और ज्योति मिर्धा एक दूसरे के आमने सामने हैं, कांग्रेस की टिकट पर हरेंद्र मिर्धा तो बीजेपी की टिकट पर ज्योति मिर्धा किस्मत आजमा रही है. दोनों के बीच चाचा और भतीजी का रिश्ता है. पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा इस साल सितंबर में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई हैं.  इन दोनों में से जीत किसकी होगी उसका फैसला तो 3 दिसंबर को होगा, इन सबके बीत 1984 के एक प्रसंग को जानना जरूरी है. 

1984 में मिर्धा के सामने थे मिर्धा

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की प्रचंड लहर थी. इसके बावजूद राजीव गांधी को राजस्थान के नागौर से एक ऐसे मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी जो नाथूराम मिर्धा को का मात दे सके. आखिरकार उन्होंने रामनिवास मिर्धा को टिकट दिया और मिर्धा परिवार के दो दिग्गजों के उस मुकाबले में नाथूराम मिर्धा को शिकस्त मिली.1984 में नाथूराम मिर्धा ने लोकदल से नागौर सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था . लेकिन रामनिवास मिर्धा ने इससे पहले कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. वे 1967 से लगातार राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते रहे थे . लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ा और 48 हजार से ज्यादा वोटों से नाथूराम मिर्धा को हरा दिया.

वह पहला मौका था जब जाटलैंड के इस रसूखदार राजनीतिक घराने के दो दिग्गज आमने-सामने थे और अब 39 साल बाद उसी नागौर में मिर्धा परिवार के दो नेता एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में मुकाबला मिर्धा परिवार से ताल्लुक रखने वाले चाचा और भतीजी के बीच है.रामनिवास मिर्धा के पुत्र हरेंद्र मिर्धा नागौर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नाथूराम मिर्धा की पौत्री ज्योति मिर्धा को टिकट दिया है. हरेंद्र मिर्धा और ज्योति मिर्धा रिश्ते में चाचा और भतीजी लगते हैं.

नागौर में मिर्धा घराने के कुल चार कैंडिडेट

नागौर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर मिर्धा घराने से ताल्लुक रखने वाले चार लोग चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने नागौर विधानसभा से हरेंद्र मिर्धा, डेगाना विधानसभा से विजयपाल मिर्धा और खींवसर से तेजपाल मिर्धा को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने नागौर विधानसभा सीट से ज्योति मिर्धा को चुनाव मैदान में उतारा है.नागौर में 'मिर्धा बनाम मिर्धा' के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है. हालांकि निर्दलीय उम्मीदवार और पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में हैं.ज्योति मिर्धा से मुकाबले के बारे में पूछे जाने पर हरेंद्र मिर्धा ने कहा कि यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए कि वह भाजपा में क्यों शामिल हुईं? हमारा तो कांग्रेस के साथ लंबा संबंध रहा है. पार्टी ने मुझे खड़ा किया है और विश्वास है कि जनता उन्हें विजयी बनाएगी.

(एजेंसी इनपुट-भाषा)

Trending news