फिर आएगा 'कोई मिल गया' का जादू! अंतरिक्ष से ढूंढ निकालेगा AI, रिसर्चर्स ने बनाया Plan
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फिर आएगा 'कोई मिल गया' का जादू! अंतरिक्ष से ढूंढ निकालेगा AI, रिसर्चर्स ने बनाया Plan

AI Find Aliens: वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस धरती पर सवालों के जवाब देती है, उसी तरह इसे अंतरिक्ष में भी भेजा जा सकता है ताकि दूसरे ग्रहों पर रहने वाले जीवों से बातचीत की जा सके.

फिर आएगा 'कोई मिल गया' का जादू! अंतरिक्ष से ढूंढ निकालेगा AI, रिसर्चर्स ने बनाया Plan

AI search aliens from space: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. अब वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से यह धरती पर सवालों के जवाब देती है, उसी तरह इसे अंतरिक्ष में भी भेजा जा सकता है ताकि दूसरे ग्रहों पर रहने वाले जीवों से बातचीत की जा सके. यह विचार किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन हाल ही में साइंटिफिक अमेरिकन में इस बारे में डिटेल में बताया गया है.

नई रणनीति अपनाने की कोशिश

फ्रैंक मार्चिस और इग्नासियो जी लोपेज-फ्रेंकोस पिछले 40 साल से अंतरिक्ष में जीवन की खोज कर रहे हैं. मार्चिस ‘सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस’ यानी दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज करने वाली संस्था में काम करते हैं और लोपेज-फ्रेंकोस नासा में एक प्रमुख रिसर्चर हैं. लेकिन अब तक उन्हें दूसरे ग्रहों पर जीवन के कोई भी संकेत नहीं मिले हैं. इसलिए अब वे मान रहे हैं कि दूसरे ग्रहों पर जीवन खोजने के लिए हमें एक नई रणनीति अपनानी होगी, जिसमें AI का इस्तेमाल किया जा सकता है.

रिसर्चर्स ने दिया ये सुझाव

रिसर्चर्स का कहना है कि इंसानों के बारे में जानकारी दूसरे ग्रहों तक पहुंचाने की उनकी पिछली कोशिशों से कोई खास नतीजा नहीं निकला. उनका मानना है कि AI के डेवलपमेंट के साथ अब हमें दूसरे ग्रहों पर जीवन खोजने के लिए एक नई योजना बनानी होगी. आर्टिकल में रिसर्चर यह सुझाव देते हैं कि चैटजीपीटी जैसा एक लैग्वेज मॉडल तैयार किया जाए जो दूसरे ग्रहों के जीवों से बातचीत कर सके, उनके सवालों के जवाब दे सके और इंसानी संस्कृति के बारे में जानकारी दे सके.

बोले- तरीका बदलने की जरूरत

मार्चिस और लोपेज-फ्रेंकोस कहते हैं कि पिछले 40 साल से हम दूसरे ग्रहों पर जीवों की खोज कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है. हमारे भेजे गए संदेशों का भी कोई जवाब नहीं आया है. हालांकि, ब्रह्मांड बहुत बड़ा है और हमने अभी तक बहुत कम खोज की है, इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि हम अकेले हैं. शायद अब हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है. वैज्ञानिकों के रूप में हम यह सुझाव देते हैं कि दूसरे ग्रहों पर संदेश भेजने की हमारी पुरानी तरीके को बदलकर हम AI का इस्तेमाल करें. इसके जरिए हम सिर्फ संगीत, गणित या अपने बारे में छोटी जानकारी नहीं भेजेंगे, बल्कि एक ऐसा खास कंप्यूटर प्रोग्राम भेजेंगे जो इंसानों और हमारी दुनिया के बारे में पूरी जानकारी रखता हो.

दोनों वैज्ञानिकों का कहना है कि इस लेग्वेज मॉडल को लेजर रेज के जरिए भेजा जा सकता है. लेजर किरणें रेज वेव्स से ज्यादा तेज होती हैं और सीधे मार्ग पर चलती हैं. इससे अंतरिक्ष की बड़ी दूरी को कम करने में मदद मिलेगी. हालांकि, सबसे नजदीकी तारे तक पहुंचने में भी कई दशक लग जाएंगे. इसलिए उनका सुझाव है कि हम एक छोटे लेकिन जरूरी लेग्वेज मॉडल को भेजें ताकि कम समय में संदेश पहुंच सके.

जोखिम भी...

हालांकि अंतरिक्ष में कृत्रिम बुद्धि भेजने का विचार बहुत ही आकर्षक लगता है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे ग्रहों के विकसित जीव इस जानकारी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन लेखकों का मानना है कि दूसरे ग्रहों पर जीवन मिलने की संभावना इन जोखिमों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है.

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