BRICS 2023: कोरोना के बाद पहली बार आमने-सामने होंगे 'ब्रिक्स' नेता, मुलाकात होगी-क्या बात होगी; यहां जानिए सबकुछ
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BRICS 2023: कोरोना के बाद पहली बार आमने-सामने होंगे 'ब्रिक्स' नेता, मुलाकात होगी-क्या बात होगी; यहां जानिए सबकुछ

BRICS Summit 2023: कोविड-19 महामारी फैलने के बाद, यह पहला व्यक्तिगत ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा. जब वैश्विक नेता एक दूसरे के एकदम नजदीक और आमने-सामने होंगे. क्या कुछ खास होने वाला है इस बार के सम्मेलन में आइए जानते हैं.

BRICS 2023: कोरोना के बाद पहली बार आमने-सामने होंगे 'ब्रिक्स' नेता, मुलाकात होगी-क्या बात होगी; यहां जानिए सबकुछ

Key facts Brics 2023 summit: काफी गहमाहमी के बीच अगले हफ्ते ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है. इस शिखरवार्ता में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष नेता आमने-सामने होंगे. दुनियाभर की नजर इस मंच पर होने वाले घटनाक्रम पर है. क्योंकि यह मंच दुनिया की 40 फीसदी आबादी की भागीदारी करता है. यहे मंच दुनिया की 26 फीसदी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है. जिसके सदस्य 22 से 24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के जोहान्सबर्ग शहर में वैश्विक समस्याओं और प्रगति पर मंथन करेंगे. इस बार का शिखर सम्मेलन कई मायनों में खास है.

समिट के कुछ प्रमुख तथ्य

15 वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन जोहान्सबर्ग में होने वाला है. यह सम्मेलन गौतेंग स्थित सैंडटन कन्वेंशन सेंटर में आयोजित होगा. कोरोना  महामारी फैलने के बाद, यह पहला व्यक्तिगत ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा, जो वैश्विक नेताओं के इस जमावड़े को और भी महत्वपूर्ण बना देता है.

कौन करेगा अध्यक्षता?

दक्षिण अफ्रीका ने 1 जनवरी 2023 को चीन से इस संगठन की रोटेशनल अध्यक्षता संभाली थी. जिसके बाद इस बार के शिखर सम्मेलन की थीम 'ब्रिक्स और अफ्रीका' की घोषणा की गई. आपको बताते चलें कि अप्रैल 2011 में चीन में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार ब्रिक्स में भाग लिया था. दक्षिण अफ्रीका की भागीदारी से पहले, इस मंच का नाम BRIC था, जिसे 2001 में गोल्डमैन सैक्स के जिम ओ'नील ने बनाया था. 

प्राथमिकताएं क्या हैं?

इस बार की प्रेसिडेंसी संभालने की वजह से दक्षिण अफ्रीका ने शिखर सम्मेलन के लिए प्राथमिकताओं की एक विस्तृत श्रृंखला सूचीबद्ध की है, जिसमें इन तथ्यों को शामिल किया गया है.
1) न्यायसंगत परिवर्तन की दिशा में साझेदारी विकसित करना.
2) भविष्य के लिए शिक्षा और कौशल विकास में बदलाव लाना.
3) अफ्रीका महाद्वीप में मुक्त व्यापार से अवसरों को खोलना.
4) कोरोना महामारी के बाद सामाजिक-आर्थिक सुधार को मजबूत करना और सतत विकास पर 2030 एजेंडा की प्राप्ति.
5) बहुपक्षवाद को मजबूत करना, जिसमें वैश्विक शासन संस्थानों के वास्तविक सुधार की दिशा में काम करना और शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की सार्थक भागीदारी को मजबूत करना भी शामिल है.

कौन-कौन भाग लेगा?

इस बार के आयोजन में राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के अलावा भारतीय PM नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज लूला डी सिल्वा के शामिल होने की उम्मीद है. रामफोसा के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति पुतिन व्यक्तिगत रूप से समटि में शामिल नहीं होंगे. क्योंकि यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के लिए पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. दक्षिण अफ्रीका आईसीसी से संबंद्ध है, इसलिए अगर पुतिन दक्षिण अफ्रीकी धरती पर उतरते हैं तो वह उन्हें गिरफ्तार करने के लिए मजबूर होगा. इसलिए इस बार मंच पर पुतिन नहीं दिखेंगे. इसलिए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पुतिन की जगह लेंगे. दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री नलेदी पंडोर ने बताया कि मेजबान देश के रूप में, दक्षिण अफ्रीका ने लैटिन अमेरिका, एशिया और कैरेबियन देशों के 67 नेताओं को भी न्योता दिया है.

प्रमुख मुद्दों पर होगी चर्चा

विशेषज्ञों का कहना है कि शिखर सम्मेलन के ज्वलंत मुद्दों की बात करें तो समूह का विस्तार करने पर गंभीर चर्चा होगी. क्योंकि चीन, अमेरिका के खिलाफ अपनी भू-राजनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए इस मंच का उपयोग करना चाहता है. चीन एक रणनीति के तहत इस मंच का विस्तार चाहता है. चीन, पाकिस्तान समेत अपने पिछलग्गू देशों को इस मंच का सदस्य बनाना चाहता है.

दूसरी ओर रूस, जो यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण अलग-थलग पड़ गया है, वह भी संगठन के विस्तार के पक्ष में दिख रहा है. वहीं सदस्य संख्या बढ़ाने को लेकर भारत फिलहाल अनिर्णीत और गैर प्रतिबद्ध बना हुआ है. जबकि ब्राजील किसी भी नए देश की एंट्री को लेकर बेहद संशय में है. सदस्यों को जोड़ना प्राथमिकता बनी हुई है, इसलिए नए जुड़ने वालों के लिए प्रवेश के नियम तैयार करने की अपेक्षा की जाती है. चूंकि यह समूह उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए तैयार किया गया था, जो 2050 तक विश्व अर्थव्यवस्था पर हावी होने के लिए तैयार थीं, इसलिए अभी यह देखा जाना बाकी है कि नए देशों को अनुमति देने के लिए नियमों में बदलाव किया जाता है या नहीं. क्योंकि अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया सहित 40 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई है.

नए सदस्यों की एंट्री के अलावा, ब्रिक्स नेता ब्रिक्स बिजनेस फोरम के दौरान व्यापार से जुड़ेंगे और शिखर सम्मेलन के दौरान न्यू डेवलपमेंट बैंक, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल और अन्य तंत्रों से जुड़ेंगे. दक्षिण अफ्रीका शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स आउटरीच और ब्रिक्स प्लस वार्ता आयोजित करेगा.

समिट से पहले अफ्रीका में विवाद

शिखर सम्मेलन से पहले, दक्षिण अफ्रीका की कट्टरपंथी वामपंथी विपक्षी पार्टी ने चीन, भारत और ब्राजील के मंच के नेताओं से रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ एकजुटता दिखाते हुए शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. दक्षिण अफ्रीका की बड़ी पार्टी, इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स के नेता जूलियस मालेमा ने कहा, 'चीन, भारत और ब्राजील के राष्ट्रपति से राष्ट्रपति पुतिन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हम ब्रिक्स समिट का बहिष्कार करते हैं. हालांकि पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स द्वारा लिखा गया था कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी भी समिट में भाग नहीं लेंगे, ऐसे में जोहान्सबर्ग का आयोजन शुरू होने से पहले ही अप्रासंगिक हो सकता है. हालांकि, नई दिल्ली ने उन रिपोर्टों की निंदा और खंडन करते हुए कहा था कि पीएम मोदी शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.

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