James Webb Space Telescope: नासा (NASA) के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने एक अनोखी तस्वीर कैप्चर की है जिसमें तेज रोशनी के साथ चमकते नारंगी-नीली रंग की डस्ट है और इसमें एक यंग स्टार (Protostar) छुपा हुआ है.
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NASA Research News: जीवन के उत्तप्ति को समझने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इसके लिए दुनियाभर के सैटेलाइट की निगाहें 24 घंटे अतंरिक्ष में होने वाली घटनाओं पर लगी रहती हैं. इसी रिसर्च के दौरान नासा को एकबार फिर बढ़ी सफलता मिली है. नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb Telescope) ने एक ऐसा कारनामा किया है जो इससे पहले किसी भी टेलेस्कोप ने नहीं किया था. नासा ने दावा किया है कि जेम्स वेब के नियर-इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCam) ने एक तस्वीर खींची है जिसमें काले बादलों (L1527) के बीच एक प्रोटोस्टार देखा गया है जो किसी नए तारे के बनने की दिशा में संकेत करता है. यह प्रोटोस्टार टॉरस मॉलिक्यूलर बादल (Taurus molecular cloud) में स्थित है और यह लगभग सैकड़ों निर्मित तारों का घर भी है. नासा कहा है कि यह काले बादल पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष दूर है.
क्या तस्वीर इस अनोखी में?
नासा ने कहा कि तस्वीर के बीच में वाली जगह पर प्रोटोस्टार को देखा जा सकता है. प्रोटोस्टार से प्रकाश इस डिस्क के ऊपर और नीचे लीक होता नजर आ रहा है. इसके आस-पास गैस और धूल का गुबार चमक रहा है. जिसमें प्रोटोस्टार और उसका बादल शामिल है. इसका नाम L1527 है. इसकी आयु करीब 1 लाख साल बताई जा रही है.
Countdown to a new star
Hidden in the neck of this “hourglass” of light are the very beginnings of a new star — a protostar. The clouds of dust and gas within this region are only visible in infrared light, the wavelengths that Webb specializes in: https://t.co/DtazblATMW pic.twitter.com/aGEEBO9BB8
— NASA Webb Telescope (@NASAWebb) November 16, 2022
इस रिसर्च से मिलेंगे कई सवालों के जवाब
इस तस्वीर पर शोध कर वैज्ञानिक समझने की कोशिश करेंगे कि अपनी उत्पत्ति के दौरान हमारा सौर मंडल कैसा दिखाई देता था. इससे किसी ग्रह की बनने की प्रक्रिया को समझने में वैज्ञानिकों को आसानी होगी. आपको बता दें कि 10 बिलियन डॉलर की लागत से बना वेब दुनिया का सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष टेलीस्कोप है. इससे पहले भी जेम्स टेलीस्कोप कई कमाल के तस्वीरों को साझा कर चुका है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस शोध से अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया को एक नई दिशा मिलेगी.
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