Marine Food Web: ऑक्सीजन (Oxygen) के बिना इंसान कुछ मिनट भी जिंदा नहीं रह सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन का 80 फीसदी हिस्सा कहां से आता है.
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Plankton Oxygen Cycle: हमारे वायुमंडल (Atmosphere) में करीब 21 फीसदी ऑक्सीजन (Oxygen) है. धरती पर मौजूद प्राणी सांस लेते समय ऑक्सीजन अंदर लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं. आप सोचते होंगे कि धरती पर लगे पेड़-पौधे हमें अधिकतर ऑक्सीजन देते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये सच नहीं है. हमें लगभग दो-तिहाई ऑक्सीजन पेड़-पौधों से नहीं बल्कि कहीं और से मिलती है. विज्ञान का ये राज जानकर आप हैरान हो जाएंगे. हो सकता है कि आपने अब तक जो कुछ भी पढ़ा उसमें ये बात आप नहीं जान पाए हों. आइए धरती के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन से जुड़ा ये दिलचस्प फैक्ट जानते हैं.
कहां से मिलती है सबसे ज्यादा ऑक्सीजन?
जान लें कि धरती पर मौजूद रेनफॉरेस्ट (Rainforest) लगभग 28 फीसदी ऑक्सीजन देते हैं. वहीं, 2 प्रतिशत ऑक्सीजन अन्य सोर्स से आती है. लेकिन वायुमंडल में ऑक्सीजन का सबसे बड़ा भाग यानी 50 से 80 फीसदी के लगभग हिस्सा समुद्री पौधों (Marine Plants) से मिलता है. बता दें कि महासागर के अंदर मौजूद समुद्री पौधे जैसे- फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton), केल्प (Kelp) और शैवाल प्लैंकटन (Algae Plankton) सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं.
कैसे होता है इतनी ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन?
गौरतलब है कि समुद्री पौधे प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के परिणामस्वरूप ऑक्सीजन (Oxygen) का उत्पादन करते हैं. फाइटोप्लांकटन और प्रोक्लोरोकोकस वायुमंडल में अनगिनत टन ऑक्सीजन रिलीज करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये इतना छोटे होते हैं कि पानी की एक बूंद में लाखों समा सकते हैं. प्रोक्लोरोकोकस (Prochlorococcus) ने सबसे अच्छा प्रकाश संश्लेषक ऑर्गेनिज्म के तौर पर जाना जाता है.
हमारी हर 5 में से 1 सांस कौन देता है?
नेशनल ज्योग्राफिक एक्सप्लोरर डॉ. सिल्विया ए. अर्ले का दावा है कि प्रोक्लोरोकोकस हमारी हर पांच सांसों में से एक के लिए ऑक्सीजन देता है. फाइटोप्लांकटन समुद्री खाद्य जाल (Marine Food Web) का आधार बनाते हैं. समुद्र में भी मौजूद सभी जीवों की सेहत फाइटोप्लांकटन के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. चिंता की बात है कि समुद्र में प्रदूषण की वजह से ये तेजी से नष्ट हो रहे हैं, इसको बचाने के लिए तमाम कवायद की जा रही हैं. लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है.