Flowers Pollination: अब फूल पहले की तरह सुंदर नहीं दिखते. अब फूलों की जवानी पर ग्रहण लग चुका है. सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है. एक अध्ययन के मुताबिक फूलों का रसपान करने वाले कीटों की संख्या में कमी आ चुकी है और उसका असर यह हो रहा है कि परागण की क्रिया प्रभावित हो रही है.
Trending Photos
Flowers-Insect Relatiobship: 1982 में हिंदी फिल्म प्रेम रोग ने तहलका मचा दिया था. उस फिल्म के एक गाने भौरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर को हम सब आज भी सुनते और गुनगुनाते रहते हैं. लेकिन फिल्म के इस गाने की चर्चा क्यों हो रही है. यह तो आपको हम बाद में बताएंगे. लेकिन गाने के इस बोल से भौरे और फूल के बीच किस तरह का रिश्ता होता है उसे आप समझ सकते हैं. जिस तरह से क्लाइमेट चेंज का असर मौसम, हम सबकी जिंदगी पर हो रहा है. ठीक वैसे ही कीट पतंगों और फूल के बीच के रिश्ते पर भी असर हो रहा है.
फूलों की चमक पर असर
न्यू पाइथोलॉजिस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक फूलों की चमक दमक, कोमलता अब सब गायब हो रही है. यानी कि अब फूल भी पहले की तरह उतने सुंदर नहीं दिखते जो पहले कभी दिखाई देते थे. अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है. दरअसल क्लाइमेट चेंज की वजह से जो कीट पतंग फूलों पर बैठ परागण की क्रिया करते थे उनकी संख्या में कमी आ गई है. पेरिस के करीब पैनसाइस फील्ड में उगने वाले फूलों पर अध्ययन किया गया. अध्ययन में पाया गया कि करीब 20 से 30 साल पहले तक फूलों की जो साइज होती थी उसमें 10 फीसद की ना सिर्फ कमी आई है बल्कि पराग की मात्रा भी घट गई है.
क्या है वजह
पौधे कीड़ों के लिए अमृत का उत्पादन करते हैं. बदले में, कीड़े पौधों के बीच पराग का परिवहन करते हैं। यह परस्पर लाभकारी संबंध लाखों वर्षों के सह-विकास के दौरान बना है. लेकिन शोध में पाया गया है कि अब पौधे कम अमृत पैदा कर रहे हैं. इसका मतलब यह है कि कीड़े पौधों की ओर कम आकर्षित हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुख्य लेखक सैमसन एकोका-पिडोल के मुताबिक परागण में गिरावट के प्रभाव को आसानी से उलटा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अब पौधों में ही बदलाव हो रहा है. गार्जियन की एक रिपोर्ट में लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के डॉ. फिलिप डोंकरस्ले बताते हैं कि वास्तविक समय में हो रहे विकास" को दर्शाती है. अब हकीकत यह है कि ये फूल कीटों की घटती संख्या के जवाब में खुद को बदल रहे हैं और यह काफी चौंकाने वाला है.
जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में फरवरी 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया ने पिछले 150 वर्षों में सभी कीट प्रजातियों में से 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक या अगर संख्या की बात करें तो 250,000 से 500,000 प्रजातियों के को खो दिया है. अध्ययन में बताया गया था कि वैश्विक कीट आबादी प्रति वर्ष 2 प्रतिशत तक की तेज रफ्तार से घट रही है. कीड़ों को कपड़े के रूप में वर्णित किया गया है जो ग्रह भर में हर मीठे पानी और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को एक साथ बांधता है.