Fact Check: क्या मोबाइल फोन के 5जी रेडिएशन से हो सकता है कैंसर? सामने आई ये सच्चाई
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Fact Check: क्या मोबाइल फोन के 5जी रेडिएशन से हो सकता है कैंसर? सामने आई ये सच्चाई

5G radiation: 5जी इंटरनेट सेवा लॉन्च से पहले और बाद में कई रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिसमें इसके नुकसान के बारे में दावा किया जा रहा था.

Fact Check: क्या मोबाइल फोन के 5जी रेडिएशन से हो सकता है कैंसर? सामने आई ये सच्चाई

5G radiation: 5जी इंटरनेट सेवा लॉन्च से पहले और बाद में कई रिपोर्ट्स सामने आई थीं जिसमें इसके नुकसान के बारे में दावा किया जा रहा था. बता दें कि भारत में मौजूदा 4जी नेटवर्क से 5जी नेटवर्क 5 से 10 गुना तेज है. इस सुपर फास्ट 5जी इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ ही कई लोगों ने रेडिएशन और मानव शरीर पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई है.

5G नेटवर्क के लॉन्च का विरोध

कई पर्यावरणविदों ने 5G नेटवर्क के लॉन्च का विरोध करते हुए कहा था कि 5G नेटवर्क वाले मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से कैंसर हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों ने यह भी दावा किया है कि जैसे-जैसे गीगाहर्ट्ज़ बढ़ता है, वैसे-वैसे विकिरण के माध्यम से कैंसर का खतरा भी कम होता है. अब, कुछ विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने इस बारे में बात की है कि क्या 5G स्मार्टफोन से निकलने वाला विकिरण किसी व्यक्ति को कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है. आइये आपको इसके रेडिएशन के बारे में बताते हैं..

क्या 5G स्मार्टफोन से हो सकता है कैंसर?

यह सिद्धांत कि 5G नेटवर्क पर चलने वाले मोबाइल फोन के विकिरण से कैंसर होने की बातों को मुंबई की विशेषज्ञ डॉक्टर डेलनाज डाभर ने खारिज कर दिया है. डॉ डाबर ने स्पष्ट किया कि 4जी या 5जी मोबाइल फोन से जो रेडिएशन निकलती है, वो माइक्रोवेव से निकलने वाली रेडिएशन के समान है, जो आमतौर पर मानव शरीर के लिए खतरा नहीं है.

जानें क्या है पूरी सच्चाई

2016 के इंडियन जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल एंड एनवायर्नमेंटल मेडिसिन की स्टडी के अनुसार सेल फोन रेडिएशन मानव शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. ऐसे में इस रेडिएशन को इंसानों में कैंसर का कारण बताना गलत है. यह एक ग़लतफ़हमी है कि अगर सोते समय फ़ोन को सिर के बहुत पास रखा जाए, या उसे लंबे समय तक जेब में रखा जाए, तो स्मार्टफ़ोन से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर और बांझपन हो सकता है. यह एक मिथक है जिसे अब खारिज कर दिया गया है. आज तक किए गए सभी रिसर्च ने इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि सेल फोन रेडिएशन को ब्रेन ट्यूमर से नहीं जोड़ा जा सकता है. 

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