Markandeshwar Mahadev Temple: 5000 साल पुराना वो मंदिर, जहां मान्‍यता है कि यमराज को बांध रखा है भगवान शिव ने
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Markandeshwar Mahadev Temple: 5000 साल पुराना वो मंदिर, जहां मान्‍यता है कि यमराज को बांध रखा है भगवान शिव ने

Sawan 2023: भगवान भोलेनाथ औघड़ दानी हैं. महादेव प्रसन्न हों तो साक्षात अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट हो जाते हैं. सावन के पवित्र महीने में अब बात उज्जैन स्थित भगवान शिव के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर की जहां पर भक्त की रक्षा करने के लिए भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को जंजीरो से बांध दिया था. 

Markandeshwar Mahadev Temple: 5000 साल पुराना वो मंदिर, जहां मान्‍यता है कि यमराज को बांध रखा है भगवान शिव ने

Markandey Mahadev Mandir Pauranik Katha: भारत मंदिरों का देश है. यहां माता रानी के साथ भगवान शिव और भगवान विष्णु के हजारों साल पुराने ऐतिहासिक मंदिर हैं. सावन के महीने में पूरी दुनिया भगवान शिव की भक्ति में डूबी है. ऐसे में अब आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मार्कण्डेश्वर ऋषि ने यहां काल को परास्त कर मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी और चिरंजीवी हो गए थे. मान्यता है भक्तों की रक्षा के लिए महाकाल, काल को देख रहे हैं. मार्कण्डेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने से भक्तों को आयु आरोग्य की प्राप्ति होती है.

मंदिर की कथा और इतिहास

धर्म नगरी उज्जैन में भगवान शिव का चमत्कारी मंदिर है. 5000 साल पुराना यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल का माना जाता है. जहां अपने भक्त की रक्षा करने के लिए भगवान शिव खुद प्रकट हुए और उन्होंने यमराज को जंजीरो से बांध दिया था. ऋषि मृकंड ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया था, लेकिन उनके पुत्र मार्कण्डेय की आयु अल्प थी जिसके कारण ऋषि मृकंड पुत्र ऋषि मार्कण्डेय की अल्प आयु को लेकर चिंतित रहने लगे. पिता को चिंतित देखकर पुत्र परेशान था. एक दिन पुत्र के निवेदन पर मुनि ने उसे सारा वृतांत बताया. इसके बाद मार्कण्डेय ने अपने पिता का दुख दूर करने और दीर्घ आयु प्राप्त करने की कामना से अवंतिका तीर्थ स्थित महाकाल वन में मौजूद इसी मंदिर मे भगवान शंकर की कठोर तपस्या की. जब वो 12 वर्ष के हुए और उन्हें यमराज अपने साथ लेने के लिए आए तो ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान शिव की प्रतिमा को दोनों हाथों से पकड़ लिया था.

भगवान शिव ने यमराज को जंजीरों से बांधा

मान्यता है कि यमराज ने जब मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिये पाश फेका तो उसकी रक्षा के लिए भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने मृत्यु के देवता यमराज को मंदिर में जंजीरों से बांध दिया. इसके साथ ही उन्होंने ऋषि मार्कण्डेय को वरदान दिया था कि उनकी आयु 12 कल्प की रहेगी.

शिवलिंग दक्षिण दिशा की ओर

इस मंदिर में काल अर्थात यमराज बंधन में बंधे हैं. मंदिर में विराजित शिवलिंग दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए है. शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से एक आंख भी उत्कीर्ण है. दक्षिण काल की दिशा है. मान्यता है भक्तों की रक्षा के लिए महाकाल काल को देख रहे हैं. मार्कण्डेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करने से भक्तों को आयु आरोग्य की प्राप्ति होती है. 

भोलेनाथ के इस चमत्कार के कारण सालभर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. त्योहार हो या जन्मदिन और मैरिज एनिवर्सरी जैसे शुभ अवसर यहां हजारों की तादाद में शिवभक्त इस मंदिर मे विशेष पूजा अर्चना करके अपनी लंबी आयु और आरोग्यता की कामना करते हैं.

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