सदियों से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता आ रहा है. शास्त्रों में इसके पीछे कई मान्यताओं का जिक्र किया गया है. किसी भी त्योहार के आते ही अक्सर लोगों की ये जानने का जिज्ञासा जाग जाती है कि इस त्योहार की शुरुआत हुई कैसे. तो चलिए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में.
पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन को लेकर राजा बलि और भगवान विष्णु की कहानी काफी प्रचलित है. एक बार राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ कराया था. उस समय भगवान विष्णु ने बौने का रूप ले लिया और राजा बलि से 3 पग भूमि दान में मांगी थी. जैसे ही राजा बलि ने इसके लिए हामी भरी. भगवान विष्णु ने वामन का रूप ले लिया. एक पग में धरती और दूसरे पग में आकाश को नाप लिया और जैसे ही तीसरा पग उठाया राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु के चरणों में रख दिया. राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा की जब मैं सोते जागते आपको ही देखना चाहता है. ऐसे में भगवान ने उन्हें वरदान दे दिया और उनके साथ रहने लगे.
भगवान विष्णु के राजा बलि के साथ रहने से मां लक्ष्मी नाराज हो गईं और नारद मुनि को सारी बात बताई. नारद जी ने कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बनाकर भगवान विष्णु को वापस मांग लें. मां लक्ष्मी ने ऐसा ही किया और रोते हुए राजा बलि के पास पहुंच गईं. मां को रोता हुआ देख राजा बलि ने उनसे रोने का कारण पूछा और साथ ही कहा कि मैं आपका भाई हूं, आप मुझे बताएं क्यों रो रही हैं. तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मुक्त करने का वचन लिया और तभी से राखी का पर्व मनाया जाता है.
बता दें कि दूसरी पौराणिक कथा असुर और देवताओं के बीच युद्ध की है. असुर और देवताओं के बीच युद्ध में असुर काफी हावी हो गए, जिसके कारण इंद्र की पत्नी शचि को अपने पति और देवताओं की चिंता होने लगी. इस दौरान उन्हों इंद्र की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक धागा बनाया. और तभी से किसी भी शुभ कार्य के दौरान हाथ में मौली बांधी जाती है. और रक्षाबंधन त्योहार की शुरुआत हुई.
रक्षाबंधन पर्व को लेकर एक मान्यता यह भी है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने 100 गाली देने पर राजा शिशुपाल का सुदर्शन चक्र से वध कर दिया था. इस कारण उनकी उंगली से खून बहने लगा था. उस दौरान द्रौपदी ने अपनी साड़ी से टुकड़ा फाड़ कर उनकी उंगली में बांध दिया था. इस वाक्य के बाद श्री कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया था.
ट्रेन्डिंग फोटोज़