Mahakumbh Mela 2025: पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का है अहम स्‍थान, अखाड़े का जानिए अतीत
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Mahakumbh Mela 2025: पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का है अहम स्‍थान, अखाड़े का जानिए अतीत

Panchayti Akhada Bada Udasin: उदासीन का अर्थ ऊंचा उठा हुआ अर्थात ब्रह्मा में आसीन यानी समाधिस्‍थ है. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने इस बारे में बताया कि हमारे अखाड़े का बड़ा महत्व है. 

Mahakumbh Mela 2025: पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का है अहम स्‍थान, अखाड़े का जानिए अतीत

Maha Kumbh Mela 2025: जब समुद्र मंथन हुआ था तब भारतवर्ष में चार जगह अमृत की बूंदें गिरी थीं- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक. इसलिए हर 12 साल के बाद इन चारों जगह पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है और वहां पर भारतवर्ष ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का हिंदू और सभी सनातनी एकत्र होते हैं. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का अहम स्थान रहता है. महाकुंभ को लेकर अखाड़ों के साधु संतों को भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सारे 13 अखाड़े महाकुंभ में स्नान करने के लिए जाते हैं. ऐसे में उन 13 अखाड़े में से श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के बारे में आइए जानते हैं: 

अखाड़े का अतीत
उदासीन का अर्थ ऊंचा उठा हुआ अर्थात ब्रह्मा में आसीन यानी समाधिस्‍थ है. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने इस बारे में बताया कि हमारे अखाड़े का बड़ा महत्व है. इस अखाड़े के ईष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र जी भगवान और ब्रह्मा जी के चारों पुत्र हैं. उनकी उदासीन परंपरा को हम मानते हैं. 1600 हमारी शाखाएं हैं. चारों स्थानों पर जहां महाकुंभ लगता है, वहां हमारी शाखाएं हैं. चार पंगत होते हैं जिसके चार महंत बनते हैं, जिसमें से एक श्री महंत होते हैं और यह सारे अखाड़े की व्यवस्थाओं का संचालन करते हैं. आर्य श्री प्रयागराज तीर्थ क्षेत्र में 2025 के कुंभ में यह अखाड़ा अपना विशेष स्थान रखता है.

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प्रयागराज महाकुंभ में मकर संक्रांति को प्रथम शाही स्नान है. मकर संक्रांति के दिन प्रशासन के द्वारा स्नान का समय निर्धारित रहता है. हम सब जानते हैं कि जब विशेष रूप से शाही स्नान का समय होता है वह अमृतवेला होती है. उस अमृत काल में ऐसी मान्यता है कि देवता, ऋषि, मुनि, गंधर्व सब स्नान करने के लिए मां गंगा में आते हैं. इसलिए पहले स्नान उनका होता है. उसके बाद हम सब अखाड़े स्नान करते हैं उसके बाद आम जनमानस स्नान होता हैं.

प्रयागराज के महाकुंभ का सबसे ज्यादा महत्व क्यों है? 
इस बारे में रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने बताया कि प्रयागराज का नाम ही प्रयाग है. उसको तीर्थ का राजा कहा जाता है, प्रयाग में त्रिवेणी का संगम है इसलिए वहां पर स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व होता है और प्रयागराज अनादि काल से ही तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. विशेष रूप से बहुत बड़ा भूभाग भी त्रिवेणी के तट पर, जहां स्नान लगता है, मेले की जो जगह है वह बहुत बड़े क्षेत्रफल में लगता है. इसलिए भी इसका बहुत बड़ा महत्व है. मुझे लगता है कि इस बार इस मेले में लगभग 80 लाख से एक करोड़ लोग स्नान करने के लिए प्रयागराज के महाकुंभ मेले में आएंगे.

(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)

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