Lord Shiva-Maa Parvati Marriage: आखिर कहां हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह? भगवान विष्णु ने निभाई थी भाई की भूमिका
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Lord Shiva-Maa Parvati Marriage: आखिर कहां हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह? भगवान विष्णु ने निभाई थी भाई की भूमिका

Lord Shiva- Maa Parvati Katha: माता पार्वती ने लंबी तपस्या के बाद भगवान शिव को विवाह के लिए प्रसन्न किया था. इस दिव्य विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के बड़े भाई की भूमिका अदा की थी. क्या आप जानते हैं कि जिस जगह शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, वह आज कहां है.

Lord Shiva-Maa Parvati Marriage: आखिर कहां हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह? भगवान विष्णु ने निभाई थी भाई की भूमिका

Lord Shiva-Maa Parvati Marriage Place: भगवान भोले शंकर (Lord Shiva) को देवों का देव माना जाता है. वे तीनों लोकों में सबसे महान तपस्वी भी हैं. उनका विवाह मां पार्वती से हुआ था, जो पूर्व जन्म में माता सती थी. लेकिन विवाह स्थल पर भगवान शिव का अपमान होने पर उन्होंने आत्मदाह कर लिया था. इसके बाद उन्होंने कड़ी तपस्या कर भगवान शिव का हृदय जीता और वे आखिरकार उनसे विवाह के लिए राजी हुए. क्या आप जानते हैं कि जिस जगह माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह (Lord Shiva-Maa Parvati Marriage) हुआ, वह इस समय कहां पर हैं. आइए आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं.  

इस गांव में हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

पुराणों के मुताबिक मां पार्वती पर्वतराज हिमावन या हिमावत की पुत्री थीं. नया जन्म होने पर उन्होंने कड़ी तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव (Lord Shiva) उनसे विवाह के लिए राजी हुए. जिस जगह माता पार्वती ने तपस्या की थी, उसे गौरीकुंड कहा जाता है. समय आने पर भगवान शिव ने मौजूदा उत्तराखंड (Uttarakhand) के गुप्तकाशी में माता पार्वती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. इसके बाद दोनों का विवाह (Lord Shiva-Maa Parvati Marriage) उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण गांव (Triyuginarayan Village) में गंगा और मंदाकिनी सोन के संगम पर संपन्न हुआ.

भगवान विष्णु बने थे माता पार्वती के भाई

ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती के विवाह में पुरोहित की भूमिका भगवान ब्रह्मा जी ने निभाई. वहीं स्वयं भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाकर उनका कन्यादान किया. इस अद्भुत विवाह में सभी देव-दानव, संत-पुरोहित और भूतों ने भाग लिया. इस विवाह का साक्षी बनने से पहले सभी देव-दानवों ने त्रियुगीनारायण गांव में स्नान किया. इस स्नान के लिए वहां पर  रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड नाम के 3 कुंड भी बने. इन तीनों कुंडों में जल सरस्वती कुंड से आता है. 

विवाह की याद में आज भी जल रही पवित्र ज्योति

कहा जाता है कि त्रियुगीनारायण गांव में माता पार्वती-भगवान शिव (Lord Shiva) के विवाह की याद में अग्नि की अखंड ज्योति जल रही है. यह ज्‍योति कभी बुझती नहीं हैं और हमेशा रोशन रहती है. मान्यता है कि इसी पवित्र ज्योति के सामने भगवा शिव- माता पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे. जो भी श्रद्धालु त्रियुगीनारायण (Triyuginarayan Village) जाते हैं, वे गौरीकुंड में स्नान करके इस पवित्र ज्योति के दर्शन करते हैं. यह स्थान गंगोत्री-बूढ़ा केदार मार्ग में है. वहां पर आप अपने वाहन से कभी भी जा सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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