Vastu Tips for Building: घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली के वास के लिए घर बनवाते वक्त कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है. भवन निर्माण के लिए भूखंड का सही चयन जीवन में सुख-समृद्धि ला सकता है.
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Vastu Tips for Building: घर सिर्फ ईंट और पत्थरों से नहीं बनता है बल्कि उसमें खुशहाली सुख और समृद्धि का भी वास होता है. लेकिन अगर भवन निर्माण में वास्तु नियमों का पालन न किया जाए तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा, भूखंड का आकार और कुछ खास बातों का ध्यान रखकर घर को दोषों से मुक्त बनाया जा सकता है. आइए वास्तु नियमों को समझें. भूखंड का सही चयन और वास्तु नियमों के अनुसार भवन निर्माण से आप अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि ला सकते हैं. आखिरकार घर वह जगह है जहां खुशियां बसती हैं और वास्तु शास्त्र इन्हीं खुशियों को सहेजने का मार्गदर्शन देता है.
भूखंड की ढलान सही दिशा में हो तो समस्याएं होंगी दूर
भूखंड की ढलान पूर्व ईशान या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए. इससे घर में धन की आवक बनी रहती है बीमारियां दूर रहती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित होता है. अगर ढलान गलत दिशा में हो तो घर में रुकावटें तनाव और अस्थिरता बनी रहती है.
गोमुखी भूखंड: समृद्धि का प्रतीक
एक ऐसा भूखंड जिसकी आकृति गाय के मुख जैसी हो उसे वास्तु शास्त्र में गोमुखी भूखंड कहा गया है. यह भूखंड आपके जीवन में ऐसी सुख-समृद्धि और शांति लाता है जैसे एक गाय अपने दूध से घर को पोषण देती है. यदि आप इस प्रकार के भूखंड पर भवन बनाते हैं तो आपका हर सपना पूरा होगा और घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा का संचार रहेगा.
वर्गाकार भूखंड का जादू
सोचिए अगर आपका घर चारों ओर से समान आकार का हो तो न केवल देखने में सुंदर लगता है बल्कि यह वास्तु के अनुसार भी उत्तम है. वर्गाकार भूखंड स्थिरता और संतुलन का प्रतीक है. इस पर घर बनाकर आप हर प्रकार की अस्थिरता और तनाव से मुक्त हो सकते हैं.
मुख्य द्वार सही दिशा में हो तो हर बाधा हो जाएगी दूर
मुख्य द्वार घर का मुख होता है. अगर इसका स्थान सही दिशा में हो तो आपके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं. उत्तर दिशा में मुख्य द्वार बनाना सबसे शुभ माना गया है. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और घर में रहने वालों के जीवन को खुशहाल बनाती है.
नैऋत्य को सबसे ऊंचा रखें और स्थिरता लाएं
घर में स्थिरता और संतुलन लाना चाहते हैं? वास्तु के अनुसार भूखंड के नैऋत्य यानी दक्षिण-पश्चिम भाग को सबसे ऊंचा रखें. यह घर के मुखिया की स्थिति को मजबूत बनाता है आर्थिक स्थिरता लाता है और नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखता है.