Devshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी से बढ़ाएं पुण्य का बैंक बैलेंस, मिलेगी विष्णु जी की कृपा
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Devshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी से बढ़ाएं पुण्य का बैंक बैलेंस, मिलेगी विष्णु जी की कृपा

Devshayani Ekadashi 2023: देवशयनी से देवोत्थान एकादशी की अवधि को आध्यात्मिक कोष भरने का काल मानना चाहिए और अधिक से अधिक समय धर्म-कर्म के कार्यों में बिताना चाहिए. धर्म प्रेमियों के लिए यह समय प्रभु की आराधना-उपासना के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता है.

देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी 2023: चातुर्मास के बाद अब देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान निद्रा से जागेंगे. भगवान के निद्रा अवस्था में जाते ही विवाह, नींव पूजन आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस बीच सिर्फ प्रभु की आराधना की जाती है. जिस तरह हम लोग भविष्य में आने वाले खर्चों को देखकर अपने बैंक में रिकरिंग डिपॉजिट अकाउंट खोल लेते हैं, जिसमें डेली या मंथली बेसिस पर एक निर्धारित राशि जमा करते हैं और निश्चित अवधि बीतने के बाद भारी भरकम रकम ब्याज समेत मिलती है, जिससे हम आने वाले खर्च पूरे करते हैं, उसी तरह इस अवधि में धर्म अध्यात्म के खाते को बढ़ाना चाहिए. 

पुण्य का बैंक बैलेंस बढ़ने से ही श्री विष्णु जी की कृपा प्राप्त होगी. इस बार यह संयोग है कि अधिकमास होने के कारण चातुर्मास पांच महीने का होगा, तब तो हम धर्म अध्यात्म के कार्य और भी अधिक कर सकेंगे. 

स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड में चातुर्मास महात्म्य के बारे में लिखा है ... 

“सद्धर्म: सत्कथा चैव सत्सेवा दर्शनं सताम, 

विष्णुपूजा रतिर्दाने चातुर्मास्यसुदुर्लभा।”

अर्थात सत्कर्म, सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों का दर्शन-सत्संग, भगवान का पूजन और दान-कर्म आदि कार्य चौमासे में करना चाहिए. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक के समय में भगवान नारायण ध्यानमग्न रहते हैं. सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यह अवधि धर्म, अध्यात्म और सत्संग के कार्य करने के लिए माने गए हैं. 

इस अवधि को अपना आध्यात्मिक कोष भरने का काल मानना चाहिए और अधिक से अधिक समय धर्म-कर्म के कार्यों में बिताना चाहिए. धर्म प्रेमियों के लिए यह समय प्रभु की आराधना-उपासना के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता है. इस बीच वेद पाठ, धर्म ग्रंथों का पाठ और कथा को सुनने के साथ ही हवन आदि करने से महान फल प्राप्त होता है. वैसे भी इस समय मौसम अनुकूल रहता है. आसमान में बादल और रिमझिम बारिश से सूर्य की तपिश कम होती है. प्रकृति में सब ओर मन को प्रसन्न करने वाली हरियाली होती है, जो पूजन-भजन करने के लिए उत्साहवर्धक होती है. वर्ष के आठ महीने तो काम धंधे में दिए ही जाते हैं. ऐसे में चातुर्मास में आध्यात्मिक खजाना भी भरना चाहिए.

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