Buddha Purnima 2024: आने वाली है बुद्ध पूर्णिमा 2024, जान लें स्‍नान-दान और पूजा का शुभ मुहुर्त
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Buddha Purnima 2024: आने वाली है बुद्ध पूर्णिमा 2024, जान लें स्‍नान-दान और पूजा का शुभ मुहुर्त

Buddha Purnima 2024 Date: वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है. साथ ही स्‍नान-दान और पूजा का बड़ा महत्‍व है. 

Buddha Purnima 2024: आने वाली है बुद्ध पूर्णिमा 2024, जान लें स्‍नान-दान और पूजा का शुभ मुहुर्त

Vaishakh Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्‍व है. पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने, जरूरतमंदों को दान करने और मां लक्ष्‍मी की पूजा करने का विशेष महत्‍व है. इनमें से कुछ पूर्णिमा को विशेष माना गया है. वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन भगवान बुद्ध की जयंती होती है साथ ही इसे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति के रूप में भी देखा जाता है. इसलिए इस पूर्णिमा को हिंदू धर्मावलंबियों के अलावा बौद्ध अनुयायी भी मनाते हैं. 

कब है बुद्ध पूर्णिमा 2024? 

पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा 22 मई की देर रात 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 23 मई को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान बुद्ध की 2586वीं जयंती है. वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी के जल से स्नान करना चाहिए. साथ ही भगवान बुद्ध और भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए. पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को अर्घ्‍य देना चाहिए और मां लक्ष्‍मी की पूजा करके खीर का भोग लगाएं. ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्‍य बढ़ता है. 

बुद्ध पूर्णिमा 2024 मुहूर्त 

बुद्ध पूर्णिमा पर स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त 23 मई की सुबह 04.04 से सुबह 05.26 बजे तक है. वहीं भगवान विष्‍णु की पूजा के लिए शुभ समय  सुबह 10.35 से दोपहर 12.18 तक है. वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय  रात 07.12 है. 

वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध को हुआ था ज्ञान प्राप्‍त 

भगवान बुद्ध का जन्‍म नेपाल की लुंबिनी नामक जगह पर हुआ था. उनके पिता का नाम राजा नरेश शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था. वहीं भगवान बुद्ध का नाम सिद्धार्थ था. 16 साल की उम्र में उनका विवाह यशोधरा से हुआ. राजकुमार होने के बाद भी विलासिता से जुड़ी कोई भी चीज सिद्धार्थ को सांसारिक मोह में नहीं बांध पाई. उन्‍होंने घर का त्‍याग कर दिया और अपनी पत्नि यशोधरा और पुत्र राहुल को सोता हुआ छोड़कर जंगल चले गए थे. सत्‍य और परम ज्ञान की प्राप्ति के लिए वे वन-वन भटके, तपस्‍या की. फिर बोधि वृक्ष के नीचे उन्‍हें आत्‍मज्ञान की प्राप्ति हुई और वे बुद्ध कहलाए. भगवान बुद्ध का जन्‍म भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उन्‍हें बोधिज्ञान मिला इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं. साथ ही इस दिन भगवान बुद्ध की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. 
 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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