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Maa Saraswati Puja: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को शिक्षा और कला की प्राप्ति होती है. बता दें कि इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी यानी आज के दिन मनाया जाएगा.
शास्त्रों में मां सरस्वती को ज्ञान, कला, संगीत और शिक्षा की देवी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आज के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का विशेष महत्व है. इस दिन मां सरस्वती को पीले रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं. पीली चीजों का भोग लगाया जाता है. बसंत पंचमी के इस मौके पर जानते हैं कैसे हुआ था मां सरस्वती का जन्म. जानें ये रोचक कहानी.
मां सरस्वती के जन्म की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार मां सरस्वती का जन्म इस संसार की रचना करने वाले ब्रह्मा जी द्वारा किया गया था. ब्रह्मा जी ने ही पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए. सृष्टि का निर्माण किया. लेकिन इस सब चीजों का निर्माण करने के बाद उन्हें लगा कि इस रचना में शायद कोई कमी रह गई है. इसके बाद उन्हें अपने कमंडल से जल लिया और छिड़क दिया, जिससे चार हाथ वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं.
बता दें कि कमंडल के जल से उत्तपन्न हुई स्त्री के हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. ब्रह्मा जी ने सुंदर देवी से वीणा बजाने को बोला और मां के वीणा बजाते ही हर चीज में स्वर आ गया. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वत का नाम दिया. ऐसा माना जाता है कि जिस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई, तब बसंत पंचमी थी. इसलिए ही इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है.
मां सरस्वती के 3 पौराणिक मंत्र
- सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:। वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
- सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।
- ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)