Naya Udasin Akhada: भोलेनाथ के उपासक, चंद्र देव महाराज और गुरू नानक की शिक्षाओं का करते हैं पालन; जानें श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा के बारे में
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Naya Udasin Akhada: भोलेनाथ के उपासक, चंद्र देव महाराज और गुरू नानक की शिक्षाओं का करते हैं पालन; जानें श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा के बारे में

History of Shri Panchayati Naya Udasin Akhara: प्रयागराज महाकुंभ में श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े के सैकड़ों साधु-संत भी भाग ले रहे हैं. इस अखाड़े के साधु चंद्र देव महाराज और गुरू नानक की शिक्षाओं का पालन करते हैं. 

Naya Udasin Akhada: भोलेनाथ के उपासक, चंद्र देव महाराज और गुरू नानक की शिक्षाओं का करते हैं पालन; जानें श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा के बारे में

Traditions of Shri Panchayati Naya Udasin Akhara: यूपी के प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है. 45 दिनों तक चलने वाला यह कुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम कहा जा रहा है. इस महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना है. जितने लोग इस कुंभ में स्नान करने आएंगे, उतनी तो अमेरिका, पाकिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश समेत दुनिया के अधिकतर देशों की आबादी भी नहीं है. इस कुंभ में सबसे बड़ा आकर्षण साधु-संतों के 13 अखाड़े रहेंगे, जो वर्षों से इस स्नान का प्रमुख केंद्र रहे हैं. इन्हीं से एक प्रमुख अखाड़ा है- श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा (हरिद्वार). आज इस लेख में हम इस अखाड़े के इतिहास, परंपराओं और संतों के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं. 

श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े से 700 डेरे जुड़े

जानकारी के मुताबिक, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा उदासीन सम्प्रदाय से सम्बंधित है. इस अखाड़े का प्रमुख केंद्र हरिद्वार के कनखल में है. इस अखाड़े की खासियत ये है कि इसमें केवल छठी बख्शीश के श्री संगत देव जी की परंपरा  वाले साधु शामिल हैं. देशभर में इस अखाड़े के लगभग 700 डेरे हैं. 

आचार्य जगतगुरु चंद्र देव महाराज के उपासक

संतों के अनुसार, यह अखाड़ा शुरू में बड़ा उदासीन अखाड़े का अंग था, जिसकी स्थापना संस्थापक निर्वाण बाबा प्रीतम दास महाराज ने की थी. उसके संस्थापक और पथ प्रदर्शक शिव स्वरूप उदासीन आचार्य जगतगुरु चंद्र देव महाराज जी थे. इस अखाड़े से जुड़े साधु सनातन धर्म की परंपराओं के साथ गुरू नानक की शिक्षाओं का भी पालन करते हैं. 

हरिद्वार कनखल में है अखाड़े का प्रमुख केंद्र

अखाड़े के महंतों ने बताया कि नया उदासीन अखाड़े ने सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा काम किया है. साथ ही देश की आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय रूप से भाग लिया है. अखाड़े के संत बताते हैं कि बड़ा उदासीन अखाड़े के संतों से वैचारिक मतभेद होने पर महात्मा सूरदास जी की प्रेरणा से एक अलग अखाड़े का गठन किया गया. इस अखाड़े का नाम श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा (हरिद्वार) रखा गया. इसका प्रमुख केंद्र हरिद्वार के कनखल में बनाया गया है. 

संगत साहब की परंपरा के साधुओं का समागम

अखाड़े के संत बताते हैं कि अखाड़े का रजिस्ट्रेशन 1913 में करवाया गया है. इस अखाड़े में केवल संगत साहब की परंपरा के साधु-संत ही शामिल हैं. संतों के अनुसार, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा कर्मकांड के बजाय आध्यात्म पर ज्यादा जोर देता है. वह कहता है कि भगवान को कहीं मत ढूंढो. वह हम सबके अंदर हैं. जिस दिन हम खुद को पहचान लेंगे, उसी दिन ईश्वर के दर्शन हो जाएंगे. 

कुंभ में सख्त नियमों का करते हैं पालन

अखाड़े के संतों के मुताबिक, वे भगवान शिव आराधना के साथ ही गुरबाणी का पाठ भी करते हैं. अखाड़े से जुड़े सभी साधु-संत वानप्रस्थ जीवन बिताते हैं और अपने-अपने डेरों में रहकर भगवान का स्मरण करते हैं. जब अलग-अलग जगहों पर कुंभ लगते हैं तो सभी डेरों के साधु इकट्ठे होकर श्रीमहंत के नेतृत्व में पवित्र स्नान के लिए चल पड़ते हैं. जब तक कुंभ रहता है, तब तक अखाड़े के सभी संत बेहद सख्त नियमों का पालन करते हैं. इस दौरान तेज ठंड के बावजूद वे प्रतिदिन 3 बार नदी स्नान करते हैं. रात में घास-फूस पर सोते हैं और दिन में महज एक बार भोजन करते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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