आपके अतृप्त पूर्वज ही हैं आपके कष्टों का मूल कारण
Advertisement

आपके अतृप्त पूर्वज ही हैं आपके कष्टों का मूल कारण

जब तक यह पितृ मुक्त नहीं होंगे तब तक मनुष्य सुखी नहीं हो सकता, और जब तक पूर्ण गुरु की कृपा ना हो या यूं कहें कि जब तक शिव और शक्ति की कृपा एक साथ प्राप्त ना हो तब तक इनकी मुक्ति असंभव है.

आपके अतृप्त पूर्वज ही हैं आपके कष्टों का मूल कारण

श्री करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम, कानपुर में सोमवती अमावस्या पर उमड़ी हजारों भक्तों की भीड़, श्री करौली धाम में अमावस्या का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमें भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी मूल के लोग भी आकर अपने पूर्वजों की मुक्ति कराने के लिए भाग लेते हैं. लोग इसे पितृ मुक्ति कार्यक्रम के नाम से भी जानते हैं. भारत में अक्सर लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिण्डदान, श्राद्ध, तर्पण, नारायण बलि आदि कर्म-कांड किया करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की मुक्ति हो सके. पर क्या वास्तव में ऐसा करने से पितरों की मुक्ति होती है? इसका प्रमाण क्या है? धाम के गुरु श्री करौली शंकर महादेव ने बताया कि आखिर क्यों यह सब करम कांड करने के बाद भी हमारे पितृ मुक्त नहीं हो पाते हैं, और यदि हो जाएं तो यह प्रमाणित कैसे हो? गुरुदेव ने बताया कि हमारे द्वारा किया गया गलत पूजा-पाठ ही इसका मुख्य कारण है, आमतौर पर पुराने जमाने में सभी लोग तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, जादू-टोना आदि जैसे कार्यों में संलग्न रहा करते थे, जिसके कारण वह गलत पूजा पाठ करने लगे, शास्त्रोक्त देवी-देवताओं को छोड़ कर, नकली ग्राम देवी-देवता बना कर उनकी पूजा करने लगे जिनका शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं. जिसके कारण वह लोग ईश्वर से दूर हो गए और नकारात्मक शक्तियों से जुड़ गए.

भगवान श्री कृष्ण भगवत् गीता के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहते हैं: 

यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रता:।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।

यानी कि देवताओं की पूजा करने वाला देवताओं को, पितरों की पूजा करने वाला पितरों को और भूत प्रेत की पूजा करने वाला प्रेत योनि को प्राप्त होता है. इसी कारण से हमारे पूर्वज मरने के बाद प्रेत योनि को प्राप्त हुए और आगे जन्म ना ले पाने के कारण आने वाली आगे की पीढ़ियां पितृ दोष की शिकार होने लगीं, जिसके कारण वह नाना प्रकार के दुख और कष्ट उठाने लगी और उनके मृत्यु के समय के कष्ट तथा रोगों के कारण, वंशजों में तमाम असाध्य रोग बनने लगे. जब तक यह पितृ मुक्त नहीं होंगे तब तक मनुष्य सुखी नहीं हो सकता, और जब तक पूर्ण गुरु की कृपा ना हो या यूं कहें कि जब तक शिव और शक्ति की कृपा एक साथ प्राप्त ना हो तब तक इनकी मुक्ति असंभव है, और यदि किसी कर्म-कांड से इनकी मुक्ति हो भी जाए तो भी उनकी स्मृतियों से मुक्ति पाना असंभव है. पितरों की बदला लेने की स्मृतियों से तो स्वयं भगवान परशुराम जी भी नहीं बच पाए तो हम और आप जैसे आम मनुष्य कैसे ही बच सकते हैं.

श्री करौली शंकर महादेव धाम का उदय ही इसलिए हुआ ताकि संसार के दुखी लोगों के पितृ मुक्त हो सकें, हर अमावस्या को गुरुजी द्वारा निःशुल्क हवन किया जाता है जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं और अपने पितरों की मुक्ति करवाते हैं. जिनके पितरों की मुक्ति कहीं नहीं होती वह यहां आकर अपने पितरों की मुक्ति कराते हैं और प्रमाण के तौर पर सभी से अपनी आंखें बंद करके अपने पितरों को देखने के लिए कहा जाता है, गुरुदेव कहते हैं यदि आपको एक भी पितृ आंख बंद करके दिखाई दे रहा है तो इसका अर्थ है कि उसकी मुक्ति नहीं हुई और यदि आप देख नहीं सकते इसका अर्थ है कि आपके पितृ अब सदा-सदा के लिए मुक्त हैं. इस भगीरथी प्रयास को करके सभी लोग अपार पुण्य प्राप्त करते हैं और अपने रोगों एवं कष्टों से सदा-सदा के लिए मुक्ति पाते हैं. इस अमावस्या लगभग 35 से 40 हजार भक्तों ने अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ मुक्ति कार्यक्रम में भाग लिया.

Disclaimer - (This article is part of IndiaDotCom Pvt Ltd’s Consumer Connect Initiative, a paid publication programme. IDPL claims no editorial involvement and assumes no responsibility, liability or claims for any errors or omissions in the content of the article. The IDPL Editorial team is not responsible for this content.)

Trending news