World Shortest Train: इस ट्रेन में जब तक आप ठीक से चढेंगे तब तक आपका स्टेशन आ जाएगा. सिर्फ 1 मिनट में आप अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा. ये है दुनिया की सबसे छोटी ट्रेन, जो 90 मीटर के अपने सफर को सिर्फ 1 मिनट में पूरा कर लेती है.
Shortest Train: ट्रेन की सवारी आपने कभी न कभी की होगी. ट्रेन की मदद से एक साथ कई लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, इसलिए दुनियाभर में इसे सबसे पॉपुलर सवारी माना जाता है. गंतव्य स्थल के हिसाब से ट्रेन का कोई कई दिनों का तो कोई कुछ घंटों का होता है, लेकिन आज जिस ट्रेन सफर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो कुछ घंटों में नहीं, कुछ मिनटों में भी नहीं बल्कि 1 मिनट में ही खत्म हो जाती है. यूं कहें कि पलक झपकते ही आपका स्टेशन आ जाएगा. जी हां ये है दुनिया का सबसे छोटा रेल सफर...
दुनिया की सबसे छोटी ट्रेन अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया के लॉस एंजेलिस में है. यह सफर सिर्फ 90 मीटर की दूरी का है. जी हां दुनिया का सबसे छोटा रेल सफर एक किलोमीटर से भी कम दूरी का है, जिसे ट्रेन सिर्फ 1 मिनट में पूरा कर लेती है.
दुनिया की सबसे छोटी ट्रेन लाइन का नाम एंजल्स फ्लाइट रेलवे है. यह ट्रेन कैलिफोर्निया के डाउनटाउन लॉस एंजिल्स के थर्ड स्ट्रीट को ओलिव स्ट्रीट से जोड़ती है. डेली एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह एक नैरो गेज फ्यूनिकुलर रेलवे के तौर पर संचालित होती है. इस ट्रेन को चलाने के लिए सिर्फ़ एक इंजन की ज़रूरत होती है.
एंजल्स फ्लाइट ट्रेन अपना सफर सिर्फ एक मिनट में पूरा कर लेती है. दरअसल यह ट्रेन केबल से नियंत्रित होती है और 33 डिग्री ढलान पर 315 फ़ुट की दूरी तय करती है. गुरुत्वाकर्षण के चलते यह ट्रेन इस सफर को करीब एक मिनट में पूरी कर लेती है.
रिपोर्ट के मुताबिक एंजेल्स फ़्लाइट ने अपने अब तक के सफर में एक करोड़ से ज़्यादा यात्रियों को ढोया है. इस ट्रेन का संबंध अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के दोस्त, वकील, इंजीनियर और कर्नल जेडब्ल्यू एडी से है.
लॉस एंजेलिस के थर्ड स्ट्रीट टनल से हिल स्ट्रीट और ओलिव स्ट्रीट को जोड़ने वाली यह ट्रेन 1901 से 1969 तक चलाई गई थी.अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के दोस्त कर्नल जेडब्लू एडी, लॉयर, इंजीनियर ने इसे तैयार किया.
इस ट्रेन में सिर्फ दो कोच लगे है, जिनका नाम है ओलिवेट और सिनाई है. यह ट्रेन लोगों को शहर के एक छोर से दूसरी छोर तक सिर्फ 1 मिनट में पहुंचा देती है. चूंकि ये सफर बहुत छोटा और एक शहर के बीच में है, इसलिए इस रेल के कर्मचारियों की भी संख्या बहुत कम है.
इस ट्रेन को बीते कई सालों में कई बार बंद किया गया. साल 2001 में एक घातक दुर्घटना के बाद इसे बंद किया गया, जिसके बाद इसे 2010 तक फिर से नहीं खोला गया. दोबारा खुलने के बाद साल 2013 में एक कोच के पटरी से उतरने के बाद इसे बंद कर दिया गया. साल 2017 में फिर से लॉन्च किया गया.
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